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Showing posts from January, 2021

बाबा कीनाराम B79

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   🌺हिंगलाज देवी की आराधना और देवी का आशीर्वाद 🌺   एक बार महाराज श्री कीनाराम जूनागढ़ से चलकर कच्छ की खाड़ियों और दलदलों को , जहां जाना असम्भव है , अपने खड़ाऊं से पार कर हिंगलाज पहुंचे , जो करांची से 45 मील की दूरी पर अवस्थित है । हिंगलाज की देवी ( हिंगलाज देवी का मंदिर अब पाकिस्तान में है और स्थानीय लोग उन्हें " बीबी - नानी " के नाम से जानते हैं । ) के मन्दिर से कुछ ही दूर धूनी लगाये और तपस्यारत महाराज श्री कीनाराम को एक कुलीन घर की महिला के रूप में हिंगलाज देवी स्वयं प्रतिदिन भोजन पहुंचाती रही । इनकी धूनी की सफाई , 10 - 11 वर्ष के एक बटुक के रूप में , भैरव स्वयं किया करते थे । एक दिन महाराज श्री कीनाराम ने पूछ दिया - " आप किसके घर की महिला हैं ? आप बहुत दिनों से मेरी सेवा में लगी हुई हैं।आप अपना परिचय दीजिये नहीं तो मैं आपका भोजन ग्रहण नहीं करूंगा ।  " मुस्कुरा कर हिंगलाज देवी ने महाराज श्री कीनाराम को दर्शन दिया और कहा - " जिसके लिए आप इतने दिनों से तप कर रहे हैं , वही मैं हूं । मेरा भी समय हो गया है । मैं अपने नगर काशी में जाना चाहती हूं । अब आप जाइये और ...

क्षणिक जीवन B78

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                        🕉️🌷 औघड़ वाणी 🌷 🔱🚩 अपने तरह की अनोखी संयुक्त परिवार की व्यवस्था आज नारियों की संकीर्ण मानसिकता के कारण बड़ी तेजी से टूटती जा रही है । पुरुष वर्ग इनकी कलहपूर्ण जिद्दी मानसिकता के समक्ष अपने को पूर्णतः असहाय समझते हुए बड़ी कराह के  साथ पारिवारिक विघटन के कारुणिक एवं दुःखद दृश्य को  देखने के लिये विवश है ।🔱- अघोर वचन शास्त्र - पृष्ठ  274

गुरु आशीर्वचन B77

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            🔯🔱🌷अति विशिष्ट आशीर्वचन  🌷🔱🔯 🌷गुरु पूर्णिमा महोत्सव  14 जुलाई 1992 के पावन - पुनीत अवसर  पर श्रद्धालु - भक्तों के निमित न्यूयार्क , अमेरिका से प्रेषित 🚩परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु का आशीर्वचन 🚩     🔱🌼  स्वानुकूल हो निष्कंटक जीवन  जियें  🌼🔱     🔯 जब भी हम रचनात्मक कृत्यों के लिए एकसाथ उठते - बैठते हैं , बात - व्यवहार करते हैं , उस  समय उस अज्ञात के प्रति अपनी वचन - बद्धता को पूरा करते हैं। अगर हमारी बुद्धि सही है तो हमारे सारे कर्म ठीक हैं । बुद्धि  और मस्तिष्क का एक दूसरे से गहरा सम्बन्ध है ।यदि इस बात से हम नहीं चेत पाते हैं तो जीवन में बहुत भटकाव हो जाता है। यदि दोनों हिल - मिल के रहें तो हमारे पांव स्वतः प्रगति  की तरफ अग्रसर होते हैं ।  हमारा जीवन तभी सार्थक है जब हम क्रियाशील होते हैं ।  क्षण भर की जड़ता भी जीवन की  यात्रा को बहुत लम्बी बना देती है। 🏵 पृथ्वी की तरह जो सदा  गतिशील होता वह अपने जीवन में मधुरता लाता है और   दूसरों को भी...

कम बोलो उचित बोलो B76

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 एक राजा के घर एक राजकुमार ने जन्म लिया। राजकुमार स्वभाव से ही कम बोलते थे। राजकुमार जब युवा हुआ तब भी अपनी उसी आदत के साथ मौन ही रहता था। राजा अपने राजकुमार की चुप्पी से परेशान रहते थे, कि आखिर ये बोलता क्यों नहीं है। राजा ने कई ज्योतिषियों, साधु-महात्माओ एवं चिकित्सकों को उन्हें दिखाया परन्तु कोई हल नहीं निकला। संतो ने कहा कि ऐसा लगता है पिछले जन्म में ये राजकुमार कोई साधु थे जिस वजह से इनके संस्कार इस जन्म में भी साधुओं के मौन व्रत जैसे हैं। राजा ऐसी बातों से संतुष्ट नहीं हुए। एक दिन राजकुमार को राजा के मंत्री बगीचे में टहला रहे थे। उसी समय एक कौवा पेड़ कि डाल पे बैठ कर काँव-काँव करने लगा। मंत्री ने सोचा कि कौवे की आवाज से राजकुमार परेशान होंगे, इसलिए मंत्री ने कौवे को गोली मार दी। गोली लगते ही कौवा जमीन पर गिर गया। तब राजकुमार कौवे के पास जा कर बोले कि यदि तुम नहीं बोले होते तो नहीं मारे जाते। इतना सुन कर मंत्री बड़ा खुश हुआ कि राजकुमार आज बोले हैं और तत्काल ही राजा के पास ये खबर पहुंचा दी। राजा भी बहुत खुश हुआ और मंत्री को खूब ढेर सारा उपहार दिया। कई दिन बीत जाने के बाद भी राजकु...

गुरु एवं संध्या आरती का महत्व B75

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                           🔱  औघड़ वाणी  🚩 संध्या को चिराग जलाने तथा धूप और आरती करने का महत्व ! " अब संध्या का समय हो गया है। सब लोग अंधकार को छोड़कर प्रकाश की ओर बढ़ने के लिए चिराग जलायेंगे और आरत होकर आरतियाँ भी करेंगे। परमात्मा से यह प्रार्थना करेंगे कि हे परमात्मा! ------  हमारे हृदय में छाये अंधकार को दूर करने के लिए ऐसा दीपक जलाओ जिससे अपने अंधकार को दूरकर दूसरों को भी अच्छे विचारों, गुणों, चरित्र तथा व्यवहारों और सद्कार्यों से मैं प्रकाशित कर सकूँ। इसलिये संध्या को यह दीपक जलाया जाता है। आरती, धूप, दीप, नैवेद्य से हमें यही प्रेरणा मिलती है। संध्या के समय पूजा-प्रार्थना इसीलिये की जाती है कि हमारी रात्रि बुरी आत्माओं को छोड़कर अच्छी आत्माओं का सानिध्य प्राप्त करें और अच्छी आत्मायें हमारे पुत्र-पौत्र, पिता-पितामह तक का मुझे स्मरण दिलायें और उन लोगों का भी यदि कहीं बुरी आत्माओं से संग हो तो वह आत्मायें छोड़कर भागें। "                         ...

बाबा किनाराम भाग-३ B74

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               🌹:अघोर साधक बाबा कीनाराम:🌹                                                                    भाग --03  बाबा कीनाराम शिवाला स्थित क्रीमकुण्ड स्थल में साधना में प्रायः लीन रहा करते थे। क्रीमकुण्ड का द्वार और राजा चेत सिंह के किले का मुख्य द्वार करीब 400 मीटर की दूरी पर था। राजा बलवन्त सिंह की मृत्यु 1770 में हो जाने के बाद बाबा बहुत दुःखी हुए थे क्योंकि वह बाबा के परम भक्तों में से थे। उसके बाद बाबा को राज-परिवार से कोई विशेष् रूचि नहीं रह गयी थी। राजा चेतसिंह राजा बलवन्त सिंह के नजदीकी रिश्तेदार थे। रानी पन्ना कुंवर के पुत्र गद्दी पर बैठे, वैसे राजा चेतसिंह गद्दी पर बैठना चाहते थे। लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाया तो राजा चेतसिंह ने शिवाला स्थित किले को अपना निवास स्थान बना लिया। आज भी वह किला राजा चेतसिंह के नाम से प्रसिद्ध है।       बाबा कीनाराम एक ...

बाबा किनाराम भाग-२ B73

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               --------:अघोर साधक बाबा कीनाराम:-------                       🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏                                                                         भाग--02               पूज्य गुरुदेव के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन एकाएक बाबा कालूराम रुक गए और पलटकर गंगा की ओर देखकर बोले--कीनाराम, देख, कोई शव बहा जा रहा है। कीनाराम तुरन्त बोले--नहीं बाबा, वह जिन्दा है।  तो बुला उसे। कीनाराम वहीँ से चिल्लाकर बोले--इधर आ, कहाँ बहता जा रहा है ? तत्काल वह शव विपरीत दिशा में घूमा और घाट के किनारे आ लगा। फिर धीरे-धीरे उठा और फिर पूरी ताक़त बटोर कर खड़ा हो गया सामने आकर हाथ जोड़कर, मूकवत। कीनाराम बोले--खड़ा-खड़ा मेरा मुंह क्या देख रहा है ? जा अपने घर, तेरी माँ रो-रो कर पागल हो रही है। ...

बाबा किनाराम भाग-१ B72

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                 ------:अघोर साधक बाबा कीनाराम:-------                                    🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏                                                                           भाग--01    यह घटना 1757 की है जब एक महान् अघोर साधक अपने गुरु को खोजते- खोजते गिरिनार की लम्बी यात्रा करते हुये काशी के हरिश्चन्द्र घाट के महाश्मशान पहुंचे। चुपचाप एक कोने में बैठे हुए अपने गुरु को निहार रहे थे। उनके नेत्र सहसा ही गीले हो गए थे। बस, वे जानना चाह रहे थे कि गुरु उन्हें पहचानते भी हैं या नहीं।        प्रातःकाल का समय था। सर्द हवा पूरी तेजी से चल रही थी। भगवान् भास्कर धीरे-धीरे नीले आकाश में अपनी सिन्दूरी आभा बिखेर रहे थे। काशी का वह पूरा घाट स्वर्ण ...

कर्मफल B71

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गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कर्म करो फल की चिंता मत करो , इस वाक्य को प्राथमिक विद्यालय उजरियोँव लखनऊ की प्रधानाद्यापिका श्रीमती सरिता शर्मा ने कर दिखाया है। स्कूल को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए दिन-रात एक करके सीमित संसाधन होते हुए भी श्रीमती सरिता शर्मा ने बच्चों की शिक्षा के लिये अधक प्रयास करके आज विद्यालय को प्राइवेट विद्यालयों के प्लेटफॉर्म पर ला कर खड़ा कर दिया है । मैं ईश्वर से ,भगवान रामकृष्ण परमहंस देव से इनके मंगलमय जीवन की प्रार्थना करता हूँ, " जीवन का एक उद्देश्य हो तो कठिन मार्ग भी सरल हो जाते हैं " 💐।।जय श्री कृष्ण।।💐

कर्मफल B70

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 कर्मफल भोगना ही पड़ता है ! इसी जन्म में , शेष रहा तो अगले जन्म में भी !  हम कर्म के प्रति सचेष्ट रहें ! ईश्वर से डरो मृत्यु का स्मरण करो गलती नहीं होगी ।               जय श्री गुरुदेव अघोरेश्वर भगवान अवधूत राम                              🙏🌺🌹🌺🙏

मशान नाथ भैरव देवा B69

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                           🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏 सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र घाट बाबा मशान नाथ भैरव देवा अधिपति काशी विश्वनाथ जी शुभ रविवार अघोरान्ना परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा किनाराम जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा कालूराम जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा अवधुत राम भगवान जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा मशान नाथ जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा महाकाल जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा महामृत्युंजय जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा काशी काल भैरव जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा दंडपानी भैरव जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा कपाल भैरव जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् बाबा ऊं बम बम बम बटुक भैरव जी परो मंत्रो नास्ति त्वंम गुरो परम् मां सर्वेश्वरी त्वंम पाहिमाम् शरणना गतम मां चंड मां शव शिवा काली मां भवानी जी त्वमं पाहिमाम् शरणना गतम मां चंड मां श्मशान काली मां भवानी जी त्वमं पाहिमाम् श...

श्री बाबा कीनाराम B68

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            🌹अघोराचार्य बाबा कीना राम जी महाराज🌹 अघोराचार्य बाबा कीनाराम (जन्म:१६९३-१७६९, काशी) अघोर सम्प्रदाय के अनन्य आचार्य थे। इनका जन्म सन् १६९३ भाद्रपद शुक्ल को चंदौली के रामगढ़ गाँव में अकबर सिंह के घर हुआ।  बारह वर्ष की अवस्था में विवाह अवश्य हुआ पर वैराग्य हो जाने के कारण गौना नहीं कराया। ये देश के विभिन्न भागों का भ्रमण करते हुए गिरनार पर्वत पर बस गये। कीनाराम सिद्ध महात्मा थे और इनके जीवन की अनेक चमत्कारी घटनाएं प्रसिद्ध हैं। सन् १७६९ को काशी में ही इनका निधन हुआ। जीवन परिचय संपादित है :- बाबा किनाराम उत्तर भारतीय संत परंपरा के एक प्रसिद्ध संत थे, जिनकी यश-सुरभि परवर्ती काल में संपूर्ण भारत में फैल गई। वाराणसी के पास चंदौली जिले के ग्राम रामगढ़ में एक कुलीन रघुवंशी क्षत्रिय परिवार में सन् 1601 ई. में इनका जन्म हुआ था। बचपन से ही इनमें आध्यात्मिक संस्कार अत्यंत प्रबल थे। तत्कालीन रीति के अनुसार बारह वर्षों के अल्प आयु में, इनकी घोर अनिच्छा रहते हुए भी, विवाह कर दिया गया किंतु दो तीन वर्षों बाद द्विरागमन की पूर्व संध्या को इन्होंने हठपूर्वक ...

अवधूत वाणी B67

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 पशु तो शायद नाम से ही पशु है, मगर काम से तो मनुष्य ही पशु है । पशुओं के कृत्य मनुष्यों से अच्छे हैं, दूसरों के प्रति वह चिन्तित न होकर वह शान्त है, सुख से है, चैन से है । - - - - समय रूपी सुन्दरी आपकी प्रतीक्षा में है । यदि समय रूपी सुन्दरी को सुनिश्चित तरीके से नहीं भोगेंगे तो वह आपको खा जाएगी । उसकी अपेक्षा का परिणाम घातक होगा । - - - अवधूत भगवान राम जी. ..अवधूत वाणी ( पृ क्र 33 )                       🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏

अवधूत भगवान राम B66

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 यह हाड़ माँस का देह गुरु नहीं है। गुरु वह पीठ है जिसके द्वारा व्यक्त किया हुआ विचार तुममे परिपक्वता का पूरक होगा। यदि तुम उसे पालन करते रहोगे, गुरुत्व को जानने मे सब प्रकार से समर्थ होओगे गुरू तुम्हारे विचार की परिपक्वता , निष्ठा की परिपक्वता , विश्वास की परिपक्वता है !  अवधूत की परिभाषा : अ = अविनाशी व = सर्वोत्तम  धू = विधि-निषेध से परे त = सत्-चित्- आनन्द घृणा और विष के शमनकारक को अघोर कहते हैं ।  🌺परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु द्वारा -अघोर साधना के दुरूह पथ का वरण🌺 घोर तपस्या व निश्छल त्याग तथा पीडित मानवता की सेवा ने ही बालक भगवान को बनाया  🕉️ परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु भगवान राम ।🕉️ पूर्व के राज्य वंश से संबंधित भोजपुर,आरा बिहार के सामान्य किसान परिवार में सन 1937 में जन्मे बालक के अलौकिक क्रिया कलापों को देख माता पिता व परिवार वालों ने बालक का नाम भगवान रखा । 🌼बाल्य अवस्था मे ही लोगों को बालक मे अलौकिक प्रतिभाओं का दर्शन होने लगा था कि तभी मात्र सात वर्ष की अल्प आयु मे ही बालक भगवान संसारिकता से विरक्त हो  गये । और घर बार त्याग गंगा तथा सोन के तट...

श्री श्री माँ सारदा B65

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                  ।।🌹 श्री श्री रामकृष्ण:शरणम् 🌹 ।। ।।🌹 श्री श्री माँ सारदा देवी की १६८वीं जन्मतिथि ५   जनवरी २०२१🌹पर हार्दिक शुभकामनाएं🙏🌹🌻🌼🌻🌹🙏।।  माँ की बातें - ( सूक्तियाँ ) - * ईश्वर तो बिलकुल अपने हैं । यह सम्बन्ध चिरन्तन है । जो उनको जितनी आन्तरिकता से चाहता है , वह उन्हें उतना ही अधिक प्राप्त करता है । भय मत करो । हमेशा याद रखो कि कोई तुम्हारी रक्षा कर रहा है । * जब मन में किसी बात को जानने की इच्छा उठे तो एकान्त स्थान में जाकर आँखों में अश्रु भरकर उनसे प्रार्थना करो । वे तुम्हारे मन की सारी गन्दगी और समस्त दुःख को हटा देंगे और तुम्हें सब कुछ समझा देंगे । * जैसे हवा बादलों को हटा देती है , वैसे ही भगवान का नाम सांसारिकता के बादलों को नष्ट कर देता है । जय श्री श्री माँ सारदा देवी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌻🌹🌻🙏