बाबा कीनाराम B79

🌺हिंगलाज देवी की आराधना और देवी का आशीर्वाद 🌺 एक बार महाराज श्री कीनाराम जूनागढ़ से चलकर कच्छ की खाड़ियों और दलदलों को , जहां जाना असम्भव है , अपने खड़ाऊं से पार कर हिंगलाज पहुंचे , जो करांची से 45 मील की दूरी पर अवस्थित है । हिंगलाज की देवी ( हिंगलाज देवी का मंदिर अब पाकिस्तान में है और स्थानीय लोग उन्हें " बीबी - नानी " के नाम से जानते हैं । ) के मन्दिर से कुछ ही दूर धूनी लगाये और तपस्यारत महाराज श्री कीनाराम को एक कुलीन घर की महिला के रूप में हिंगलाज देवी स्वयं प्रतिदिन भोजन पहुंचाती रही । इनकी धूनी की सफाई , 10 - 11 वर्ष के एक बटुक के रूप में , भैरव स्वयं किया करते थे । एक दिन महाराज श्री कीनाराम ने पूछ दिया - " आप किसके घर की महिला हैं ? आप बहुत दिनों से मेरी सेवा में लगी हुई हैं।आप अपना परिचय दीजिये नहीं तो मैं आपका भोजन ग्रहण नहीं करूंगा । " मुस्कुरा कर हिंगलाज देवी ने महाराज श्री कीनाराम को दर्शन दिया और कहा - " जिसके लिए आप इतने दिनों से तप कर रहे हैं , वही मैं हूं । मेरा भी समय हो गया है । मैं अपने नगर काशी में जाना चाहती हूं । अब आप जाइये और ...