गुरु आशीर्वचन B77
🔯🔱🌷अति विशिष्ट आशीर्वचन 🌷🔱🔯
🌷गुरु पूर्णिमा महोत्सव 14 जुलाई 1992 के पावन - पुनीत अवसर पर श्रद्धालु - भक्तों के निमित न्यूयार्क , अमेरिका से प्रेषित 🚩परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु का आशीर्वचन 🚩
🔱🌼 स्वानुकूल हो निष्कंटक जीवन जियें 🌼🔱
🔯 जब भी हम रचनात्मक कृत्यों के लिए एकसाथ उठते - बैठते हैं , बात - व्यवहार करते हैं , उस समय उस अज्ञात के प्रति अपनी वचन - बद्धता को पूरा करते हैं। अगर हमारी बुद्धि सही है तो हमारे सारे कर्म ठीक हैं । बुद्धि और मस्तिष्क का एक दूसरे से गहरा सम्बन्ध है ।यदि इस बात से हम नहीं चेत पाते हैं तो जीवन में बहुत भटकाव हो जाता है। यदि दोनों हिल - मिल के रहें तो हमारे पांव स्वतः प्रगति की तरफ अग्रसर होते हैं । हमारा जीवन तभी सार्थक है जब हम क्रियाशील होते हैं । क्षण भर की जड़ता भी जीवन की यात्रा को बहुत लम्बी बना देती है। 🏵 पृथ्वी की तरह जो सदा गतिशील होता वह अपने जीवन में मधुरता लाता है और दूसरों को भी प्रकाश और नवजीवन देता है। वह कर्म सबकी भलाई के लिये होता है 🏵
🚩🌷 आज मेरा शरीर आपके समक्ष नहीं है किन्तु मेरी आत्मा आपके साथ है । मैं आप लोगों का हृदय आलिंगन करता हूँ , जो मेरी ही आत्मा के रूप में आप लोग यहाँ मौजूद हैं । मैं चाहता हूँ कि जैसा मेरा चित्त विमल दृष्टि खुलने पर अच्छा रहता है , वैसा ही आपका भी चित्त रहे🌷🚩
आप लोगों को यह चुनाव करना है की जीवन में कैसे , किस ढंग से जीना अच्छा होगा । हम आशा करते हैं कि आप अपने अनुकूल बनेंगे । 🌺 जब आप अपने अनुकूल होंगे तो आपको सब सुलभ होगा । इस पृथ्वी पर निष्कंटक हो कर जीवन जीयेंगे । किसी के प्रति किसी प्रकार की जलन , ईर्ष्या और घृणा नहीं होगी । किसी तरह का अभाव नहीं रहेगा 🌺
🚩 उस अज्ञात का हाथ बहुत लम्बा है ।
वह कैसे किसी को किस स्रोत से जीविका दे देता है , कहा
नहीं जा सकता है । आप जिस शक्ति उपार्जन में लगे हैं वह
शक्ति आपको सुलभ हो , श्रद्धा आप में जन्म ले । आप
स्थिर हों , इसके लिये हम उस अज्ञात से प्रार्थना करते हैं।
🌿वह 🌿आपकी बुद्धि में जँच जाय जिससे आप अपने
जीवन का चुनाव कर सकें , बंचे जीवन के लिये नए दिशा
का चुनाव कर सकें और अपार श्रद्धा के पात्र बनें 🚩
🌼🔱 इसी आशा के साथ मैं आपसे विदा लेकर आप में उपस्थित उस प्राणमयी 🌾 माँ - पिता 🌾 को प्रणाम करता हूँ 🔱🌼
🌷 महाकापालिक के श्रीमुख से 🏵 गुरु पूर्णिमा का अन्तिम उद्बोधन को हम हृदयंगम करें , व्यव्हारिक जीवन में अनुशीलन करें ! 🌷
🚩🔯 उस निराकार , महाअज्ञात के श्रीचरणों में , चतुर्दिक साष्टांग दण्डवत निवेदित 🔯🚩
🌹।।जय श्री कृष्ण।।🌹
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