अवधूत वाणी B67
पशु तो शायद नाम से ही पशु है, मगर काम से तो मनुष्य ही पशु है । पशुओं के कृत्य मनुष्यों से अच्छे हैं, दूसरों के प्रति वह चिन्तित न होकर वह शान्त है, सुख से है, चैन से है ।
- - - - समय रूपी सुन्दरी आपकी प्रतीक्षा में है । यदि समय रूपी सुन्दरी को सुनिश्चित तरीके से नहीं भोगेंगे तो वह आपको खा जाएगी । उसकी अपेक्षा का परिणाम घातक होगा ।
- - - अवधूत भगवान राम जी. ..अवधूत वाणी ( पृ क्र 33 )
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