Aarakshan B226

कश्यप ऋषि के प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान श्री परशुरामजी ( वर्णन):- आरक्षण के विषय पर "मात्र योग्यता ही मापदण्ड हो" । 

"गुरूवर कश्यप ! शासन को यदि शुद्ध और पारदर्शी बनाना है तो उसके अधिकारी और कर्मचारियों का चयन योग्यता के मापदण्डों पर किया जाए। सुयोग, साहसी एवं तुरंत निर्णय लेने वाले व्यक्तियों पर ही शासन का भार डाला जाना चाहिए। यदि ऐसे कुशल लोग दासों में मिलते हैं तो उन्हें भी बिना भेदभाव के शासन में लिया जाना चाहिए। किन्तु वंश, दरिद्रता या उपेक्षित समाज की सदस्यता को कभी भी शासकीय सेवाओं का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। मानव पुत्र होने के कारण नागों और व्रात्यों जैसे लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और आवास की सुविधाएँ दी जानी चाहिए। उनके बालकों को आश्रमों में भेज कर संस्कारित करना चाहिए। उनकी सहायता करें, इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नही है किन्तु सत्ता के अधिकार का भार वहन करने का मापदण्ड एक ही होना चाहिए। शासन, प्रतिभाओं पर टिकना चाहिए। उपेक्षित समाज में पैदा होना, शासन की भागीदारी का यदि आधार बन गया तो वह राज्य कभी भी सुराज्य नहीं कहा जाएगा। शासन, दान पुण्य के नाम पर, उपेक्षितों के उत्थान के नाम पर, सेवा के नाम पर, मानवता के नाम पर पिछड़ों को आगे बढ़ाएँ, इसका मैं भी समर्थक हूँ किन्तु शासन का दंड केवल प्रतिभाओं को ही थमाया जाना चाहिए।"


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