UCC LAW B220

*समान नागरिक संहिता (कानून) UCC- (Uniform Civil Code)*

राष्ट्रीय हिंदी समाचार पत्र स्पष्ट आवाज़ , ८ फरवरी २०२४ , लखनऊ ,गोरखपुर , कानुपर , ललितपुर से प्रकाशित , लेख :- UCC (प्रशांत शर्मा) .

देश में अतिशीघ्र UCC कानून लागू होने की कवायद शुरू हो गई है इस पर गहन विचार विमर्श चल रहा है सब कुछ सही रहा तो शायद चुनाव के पहले इसे वर्तमान सरकार लागू कर सकती है, इस आधार पर भारत के हर नागरिक को जानना आवश्यक है कि क्या है यह कानून तो आईए जानते हैं इस कानून के विषय में, हाल ही में विधि आयोग ने एक परामर्श पत्र जारी करते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि सभी निजी कानूनी प्रक्रियाओं को संहिताबद्ध करने की जरूरत है ताकि उनके पूर्वाग्रह और रूढ़िवादी तथ्य सामने आ सकें। इसमें प्रमुख मुद्दा गौरतलब है कि हाल के वर्षों में समान नागरिक संहिता पर सियासी और सामाजिक दोनों ही माहौल गर्म रहा है। एक ओर जहाँ देश की बहुसंख्यक आबादी समान नागरिक संहिता को लागू करने की पूरे जोर शोर से लागू करने के लिए मांग उठाती रही है, वहीं अल्पसंख्यक वर्ग इसका विरोध करता रहा है। ऐसा क्या है इस कानून में, क्या है समान नागरिक संहिता ? सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। राज्य के नीति- निर्देशक तत्त्व से संबंधित इस अनुच्छेद में कहा गया है कि 'राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के बँटवारे आदि में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है। अभी देश में जो स्थिति है उसमें सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग है। जबकि इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख , जैन और बौद्ध आते हैं। लैंगिक समानता के मद्देनजर आयोग ने सुझाव दिया है कि लड़कों एवं लड़कियों की शादी के लिए 18 वर्ष की आयु को न्यूनतम मानक के रूप तय किया जाए ताकि वे बराबरी की उम्र में शादी कर सकें एवं अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 में धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव करने की मनाही और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और निजता के संरक्षण का अधिकार लोगों को दिया गया है। कई मौके ऐसे आए जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता लागू न करने पर नाखुशी जताई है। जैसे की 1985 में शाह बानो केस और 1995 में सरला मुदगल मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान नागरिक संहिता पर टिप्पणी से भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा था, जबकि पिछले वर्ष ही तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी इस मुद्दे को हवा मिली। हिंदू धर्म में विवाह को जहाँ एक संस्कार माना जाता है, वहीं इस्लाम में इसे एक Contract माना जाता है। ईसाइयों और पारसियों के रीति रिवाज भी अलग-अलग हैं। सिर्फ शरिया कानून 1937 ही नहीं बल्कि, हिन्दू विवाह कानून 1955, क्रिचिश्यन विवाह कानून 1872, पारसी विवाह और तलाक कानून 1936 , में भी सुधार की आवश्यकता है। मुश्किल सिर्फ इतनी भर नहीं है। मुश्किल यह भी है कि देश के अलग-अलग हिस्से में एक ही मजहब के लोगों के रीति रिवाज अलग-अलग है। वर्तमान में गोवा अकेला राज्य है , जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है। जाहिर है, इसके लिए काफी प्रयास किए गए होंगे। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि दूसरे राज्यों में भी अगर कोशिश की जाती है तो, इसे लागू करना आसान हो सकता है। हमें समझना होगा कि अगर राजा राममोहन राय सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठा सके और उसका उन्मूलन करने में कामयाब हो सके तो, सिर्फ इसलिये कि उन्हें अपने धर्म के भीतर की कुरीतियों की चिन्ता थी। एक बार फिर हमें समझना होगा कि जब हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होगा तो, देश के सियासी दल वोट बैंक वाली सियासत भी नहीं कर सकेंगे । (समान नागरिक संहिता को संक्षेप में समझें तो अनुच्छेद 14,15,21 में महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए , लैंगिक समानता । , विवाह  , जमीन- जायदाद , गोद लेने के नियमों , तलाक के नियम हिंदुओं , मुस्लिमों और ईसाईयों , पारसी , सिख ,जैन ,बौद्ध धर्मों के लिए एक नियम हो और सभी धर्मों के लिए एक पर्सनल लॉ , सिविल लॉ लागू होने का प्रावधान दिया गया है एवं जीवन और निजता के संरक्षण का अधिकार देने का प्रावधान है । इन्हीं विषयों को समानता में लागू करना समान नागरिकता कानून (UCC- Uniform Civil Code) कहलाता है।)

लेख :- प्रशांत शर्मा







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