Social Aspects & Relationships B218


सोशल साइट्स और संबंध

रिश्तों में संवादहीनता ला रहा दुनिया से जोड़ने वाला मोबाइल , यह माने या न माने, वास्तविकता में मोबाइल के हद से ज्यादा उपयोग से सामाजिक रिश्तों में हम सब की , समाज की दिक्कतें बढ़ी हैं। मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाली जो नई आदतें बन रही हैं, उनमें फबिंग भी शामिल है। स्मार्ट फोन पर चिपके रहने के कारण जब आप अपने करीबी रिश्ते को इग्नोर करते हैं, तो उसे फबिंग कहा जाता है। फबिंग एक ऐसा शब्द है जो स्मार्टफोन की लत से जुड़ा है। यह शब्द फोन और स्नबिंग से मिलकर बना है। ( स्नबिंग का मतलब होता है अनादर करना या फिर अनदेखी करना )। जो लोग दोस्तों, परिवार और समाज में लोगों के बीच बैठकर फोन में ज्यादा ध्यान देते हैं, या कह लीजिए कि अब वो मोबाइल पर ही निर्भर हो गए हैं , मोबाइल ही अब उनकी दुनिया है । यह शब्द ऐसे लोगों के लिए प्रचलित है। स्मार्टफोन के इस्तेमाल और फबिंग को लेकर की गई एक स्टडी के मुताबिक लगभग 32 प्रतिशत लोग दिन में कम से कम 3 से 4 बार लोगों के बीच फबिंग करते हैं। फबिंग का नकारात्मक प्रभाव आपके सामाजिक, पारिवारिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है और पड़ रहा है इसे आप स्वीकार करें या ना करें । इसको नजर अंदाज करना ठीक नहीं है। मनोविज्ञान के जानकार कहते हैं कि फबिंग किसी भी रिश्ते में कड़वाहट ला सकती है। आज के समय में जब सोशल मीडिया और फोन ही सब कुछ है लोग एक मिनट भी उससे दूर नहीं रह सकते हैं। लोग किसी से मिलते समय भी फोन पर देखते रहते हैं या सोशल मीडिया पर स्क्रोल करते रहते हैं। उन्हें सामने वाले से ज्यादा जरूरी फोन पर बात करना लगता है या सोशल साइट्स पर व्यस्त रहते हैं क्योंकि की बिना पैसे के आनंद मिलता है, झूठे दोस्तों के साथ व्यस्त रहना ही आज सबकी पहली पसंद है । इस व्यवहार को अपमानजनक के रूप में देखा जा सकता है। फबिंग करीबी रिश्ते के साथ प्रभावी बातचीत में बाधा पैदा कर सकता है। जब कोई व्यक्ति बातचीत के दौरान या एक साथ समय बिताते समय लगातार अपने फोन का उपयोग कर रहा है, तो यह दिखाता है कि उनका साथी , परिवार के सदस्य , जो कह रहा है उसमें वे पूरी तरह से मौजूद नहीं हैं या रुचि नहीं रखते हैं। इस तरह से किसी के साथ समय बिताने पर भी वहां उपस्थित नहीं होने के कारण रिश्ते में कम्युनिकेशन गैप आने लगता है। इससे कई सारी गलतफहमियां भी पैदा हो सकती हैं। फबिंग से हमारे रिश्तों के बीच भावनात्मक दूरियां आ सकती हैं। अनेक मां-बाप मोबाइल और सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा टाइम देने के कारण बच्चों की परवरिश की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे। लगातार फोन के उपयोग के कारण उपेक्षित या महत्वहीन महसूस करने से अकेलेपन, निराशा और नाराजगी की भावनाएं पैदा हो सकती हैं। एक करीबी आपको अपनी किसी परेशानी के बारे में बता रहा हो लेकिन दूसरा उस पर ध्यान ही न दे तो यह विचलित करने वाली स्थिति है। आने वाले समय में सोशल साइट्स , नेटवर्किंग परिवारों के विघटन का कारण बनेंगे । इसके सही उपयोग से ही आने वाले दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है ।
लेख :- प्रशांत शर्मा


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