Important role in worship B213
१- पूजा करते समय घण्टियाँ इसलिए बजायी जाती हैं जिससे बाह्य ध्वनियाँ न सुनायी पड़ें और मन अन्तर्मुखी तथा एकाग्र हो सके। २-देवता के सामने जलायी जाने वाली ज्योति यह बताती है कि ईश्वर ज्योतिस्वरूप है। वह प्रकाश ही है। भक्त कहता है— “हे भगवान्! आप ब्रह्माण्ड की स्व-प्रकाश्य ज्योति हैं। आप ही सूर्य, चन्द्र और अग्नि को प्रकाशित करते हैं। मेरी बुद्धि को भी प्रकाशित करें।” यही ज्योति जलाने का महत्त्व है। ३-धूप देवता के सामने जलायी जाती है। इसका धुआँ सारे कमरे में फैल जाता है। यह एक रोगाणुमुक्त करने की क्रिया है। जैसे घरों में लौहबान का धूप प्रज्वलित करना (पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाता है) धूप जलाना इस बात का संकेत करता है कि भगवान् सर्वव्यापक हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उनकी उपस्थिति है। भक्त धूप जला कर ईश्वर से कहता है— "हे भगवान् ! मुझमें छिपी वासनाएँ और संस्कार इस धूप के धुएँ की भाँति जल कर राख हो जायें और आप मुझे निर्दोष बना दें। ४-कर्पूर जलाना इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति का अहंकार कर्पूर की भाँति पिघले और जीवात्मा ज्योतियों की परम ज्योति के साथ एक हो जाये ।(कर्पूर एंटीसेप्टिक होता है जिससे घरों के अदृश्य कीटाणुओं का नाश होता है )५-चन्दन का घिसना भक्त को यह स्मरण कराता है कि उसे परेशानियों में चन्दन की भाँति धैर्यवान् होना चाहिए। जैसे चन्दन जब उसे पीसा जाता है, तो भी मधुर सुगन्ध विकिरित करता है, वैसे ही भक्त को कठिनाइयाँ आने पर बड़बड़ाने या दुःखी होने के विपरीत उसे चन्दन की भाँति मधुरता और सज्जनता का विकिरण करना चाहिए। इससे एक और भी शिक्षा मिलती है चन्दन को काटा या पीसा जाता है, तो भी वह शान्तिपूर्वक मधुर सुगन्धि फैलाता है। उसी प्रकार किसी को भी अपने शत्रु का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए । ) चंदन की प्रवृत्ति ठंड़ी होती है इसे माथे पर लगाने से मस्तिष्क ठंडा रहता है इससे मनुष्य शान्ति पूर्वक अपने दिनचर्या के कार्यों को बिना गुस्से में आये आसानी से कर सकता है । स्वामी शिवानन्द के अनुसार सभी धर्मों के व्यक्तियों और बच्चों को इसका ज्ञान होना चाहिए । ताकि वे धर्म के साथ साथ शुद्ध आचरण के साथ उन्नति कर ईश्वर की प्राप्ति कर सके । एक आदर्श मनुष्य का जीवन व्यतीत कर सकें ।
🌹जय श्री कृष्ण🌹जय जगन्नाथ महाप्रभु🚩
लेखक:- प्रशांत जे के शर्मा
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