PRACHIN BHARAT Part-2 B206


अपगणस्थान वर्तमान का अफगानिस्तान , कश्यपसागर वर्तमान का केस्पियन सी , और्व देश वर्तमान का अरब देश , बाल्हीक देश-  वर्तमान का अरलसागर से सिन्धु नदी का समस्त धरातल आज के यूनान देश , कतर देश , तुर्की देश , मेसोपोटामिया देश , ईरान देश , ईराक देश , अफगानिस्तान देश , पाकिस्तान देश आते हैं (और्व और बाल्हीक देशों पर भृगुवंशियों का राज्य था) । 

पारद देश केस्पियनसागर के दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित था । मध्य युग में इसे खुरासान क्षेत्र भी कहा गया है । इसे पार्थिया देश भी कहा जाता था । जेन्दा वस्ता ग्रंथ का ग्रंथकार जरथुस्त्र स्वयं मग ब्राम्हण थे , फिर भी ग्रंथ की रचना पहलवी भाषा में की गई है । इससे सिद्ध होता है कि शक (मग) जाति के ब्राह्मण भी शक देश के ही थे एवं पहलवों के आपसी संबंध मधुर थे ।शक एक शक्तिशाली जाति रही है । इनको स्कीथियन्स भी कहा गया है । अवंतिकापुरी के सम्राट विक्रमादित्य से ये लोग पराजित हो चुके हैं । शक जाति के ब्राम्हण स्वयं को मग ब्राम्हण मानते हैं । शूरवीर जरथुस्त्र इसी मग जाति के ब्राम्हण थे । इसी जाति के लड़ाकों ने कई बार भारत पर आक्रमण किए और पश्चिमी भारत (ईरान व अफगानिस्तान) से आकर इन्हीं शकों ने मगध साम्राज्य(वर्तमान में बिहार) की स्थापना की थी। ऐसा इतिहास में भी वर्णित है ।

काम्बोज प्रदेश वर्तमान का कंबोडिया देश - यहां के लोग संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे । पुराणों में काम्बोज प्रदेश पश्चिमी भारत में बताया है और मध्ययुग के साहित्य में बर्मा देश-मलाया देश के साथ साथ कंबोडिया देश को भी गिना गया है । यवन देश को पुराणों में पणि जाती का निवास स्थान माना गया है । यही देश आगे चलकर फिलिस्तीन देश कहलाया । वर्तमान में इज्राइल देश के लोगों को यूनानी व यहूदी जाति का माना गया है । 
इन जातियों को मिलाकर देखा जाय तो लालसागर से केस्पिमन सागर और अरलसागर तक का भूभाग भारतवर्ष की पश्चिमी सीमा मानी जानी चाहिए । वहीं भारतवर्ष के दक्षिण की सीमा वैदिक काल के पूर्व में यह सिंहल द्वीप समूह के नाम से जाना जाता था , इनमें मेडागास्कर द्वीप , लक्ष्यद्वीप  , मालदीप देश , श्रीलंका देश से मलेशिया देश , सुमात्रा द्वीप तक विस्तार था । इन स्थानों पर पुलस्य वंशी राक्षकों ने अपना अधिकार जमा लिया था इनमें रावण प्रमुख था । इनमें यक्ष संस्कृति के राक्षस वर्ग कुबेर के माने गए और रक्ष संस्कृति के राक्षस वर्ग पौलत्स्य ऋषि के गण माने गए जिनमें सबसे प्रमुख महापंडित रावण का नाम आता है ।

भारतवर्ष में उत्तर भारत के हिमालय भूभाग के पश्चिमी क्षेत्र को हिन्दुकुश पर्वत श्रेणी परिक्षेत्र के रुप में माना जाता है इस परिक्षेत्र में छोटे - छोटे गांव आते थे इनमें शिवस्थान (सीस्तान) , कुभानगर(काबुल) , कपिशा (गांधार की राजधानी) , स्कंधहार (कंधार) , ब्राहमययन (बामियान) , अपगणस्थान (अफगानिस्तान) आदि के भूभाग आते हैं । आगे चलकर यही प्रसिद्ध नगर बाहलीक (बलख) के नाम से प्रसिद्ध हुआ की इन नगर के क्षेत्र को लोग "बाहलिक राज्य" कहने लगे ।  
-प्रशांत शर्मा


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