SINGHASAN 32सी , B155
🌺सम्राट श्री विक्रमादित्य महाराज🌺
सम्राट विक्रमादित्य सिंघासन बत्तीसी क्या है तो आइए जानते है इसकी विशेषतायें :-
सम्राट विक्रमादित्य का सिंघासन बत्तीसी अत्यंत मनमोहक कलाकृतियों से बना था इनमें सबसे अधिक थीं सिंघासन के चारों ओर जड़ी हुई जीवंत पुतलियाँ ( रत्नों से जड़ित ) ये सम्राट विक्रमादित्य के गुणों का प्रतीक हैं।
सिंघासन में कुल बत्तीस विलक्षण पुतलियाँ (रत्न) जड़ी गई थीं । इन पुतलियों को जड़ने का विशेष कारण था :-
ये सभी पुतलियाँ सम्राट विक्रमादित्य के गुणों की प्रतिबिम्ब हैं । सम्राट विक्रमादित्य के सोलह कलाओं के प्रतिभा को प्रदर्शित करती ये सोलह-सोलह पुतलियाँ कुल मिलाकर बत्तीस सिंघासन के दोनों पार्श्व में जड़ित की गई हैं। यह सोलह अनमोल कृति हैं :-
श्री संपदा , भूसंपदा , कीर्ति संपदा , वाणी सम्मोहन , लीला , कांति , विद्या , विमल , उत्कर्षिणी शक्ति , नीर - क्षीर विवेक , कर्मण्यता , योगशक्ति , विनय , सत्य धारणा , आधिपत्य , अनुग्रह क्षमता ।
ये है सिंघासन बत्तीसी का अर्थ । सिंघासन बत्तीसी की यह कृति अनमोल है ।
🌺जय श्री कृष्ण🌺
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