Social Media & Relationships B134

                   


सोशल मीडिया एवं सम्बन्ध

सोशल मीडिया और सम्बन्ध वर्तमान में समाज का सबसे ज्वलंत मुद्दा है ।

यह वह प्लेटफार्म है जिसमें हम किसी व्यक्ति को जानते हो या जीवन में कभी भी उससे  मिले हो या न मिलें हों , या जिससे तुरन्त भेंट हुई हो या जान पहचान निकला हो , उसे हम तुरन्त फेसबुक , व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम , ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उससे फ्रेंडशिप कर सम्पर्क में आते हैं एवं उसके साथ कोट्स, चैटिंग , बात करने लगते है । इसका कोई किनारा , अंत नही है। वर्तमान में आनंद व समय बिताने का एक बड़ा माध्यम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है । सच्चाई से कोसों दूर भागने का माध्यम है । आप अपने आप को धोखा दे रहे हैं । झूठे आनंद के लिए इसका सहारा लेकर वास्तविक जीवन से दूर भागते हैं ।

आज हर परिवार में सभी के पास अपना - अपना मोबाइल फोन है । परिवार में हर व्यक्ति का परिवार के सदस्यों का अपना अलग-अलग सोशल मित्र या कह लीजिए नेटवर्किंग है उसी के साथ हर सदस्य व्यस्त हैं परिवार के सदस्यों को महत्व न देकर झूठे सोशल मित्रों को महत्व दिया जा रहा है । आज इसी का कारण है परिवार में विघटन , आपस में दूरियां बढ़ती जा रही है , पहले मोबाइल आवश्यकता के लिए हमारे पास आया । फिर इसे आंनद के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है । नेटवर्क क्रांति से आज हम अपनी आवश्यकता पूरी कर रहे हैं । लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है, की आज मोबाइल टाइमपास भी है , बिना मतलब के उपयोग में ज्यादा प्रयोग में है । वर्तमान में ज्यादातर लोग २४ घंटे मोबाइल में सोशल मीडिया , चैटिंग , वीडियो गेम खेलने में एवं बात करने में व्यस्त रहते हैं ।

वर्तमान में सबसे पहले प्रातःकाल उठते ही मोबाइल हाथ में आ जाता है भगवान बाद में याद आते हैं ईश्वर का स्मरण मोबाइल को देखने के बाद आता है । यह वर्तमान का कटु सत्य है की मेरा मोबाइल मेरी जान है अब यह नई कहावत चरितार्थ हो रही है ।

आज जब हम समाज में किसी के घर पर जब पहुँचते है तो वहाँ देखने को मिलता है परिवार के सदस्य अपने - अपने मोबाइल पर व्यस्त है या हर पांच मिनट पर अपना मोबाइल देखते रहते है । असल में आज सबका अपना - अपना झूठा सोशल समाज बन चुका है , उसी में हम व्यस्त है । जो मेहमान आप के घर में आप से मिलने आया है वह अपने आप को महत्वहीन समझता है या यूं समझ लें की अपने आप को ठगा सा महसूस करता है । पहले के समय में अगर आप किसी के घर जाते थे तो लोग आपकी प्रतीक्षा करते थे पहुँचने पर जोश भरा स्वागत करते थे घर के बच्चें रुम से बाहर निकल कर अपनों का पैर छूते थें। अब किसी अपनों के घर जाइये तो माता पिता ही कह देते हैं बच्चें का एग्जाम है पढ़ रहा है , बच्चा बाहर नही आता पैर छूना तो दूर मिलने भी बाहर नही आता है आता है तो दूर से पैर छुआ और अपने रुम में वापस ।क्योंकि अभिभावक गण ही गलत संस्कार के लिए प्रेरित करते हैं ।आज वर्तमान में वातावरण बिगाड़ने में हम बड़ों का अहम भूमिका है इन्हीं छोटे छोटे कारणों से हमारे बच्चें संस्कार भी भूल रहे हैं और एकल परिवार में रुचि रखते हैं । इस कारण अब सब के मोबाइल पर ही तमाम अपने-अपने सोशल मीडिया नेटवर्किंग के झूठे मित्र उपलब्ध हैं ।

आज समाचार पत्रों में देखिये सोशल प्लेटफॉर्म के कारण घरेलु हिंसा , अपराध , कलह , कई देशों में बढ़ता ही जा रहा है ।कारण स्पष्ट है हम झूठे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के कारण सोशल ग्रुप के व्यक्तियों को तो भरपूर समय दे रहे हैं । लेकिन वास्तविकता में जिसके साथ हमें रहना है उसे हम समय ही नही देते है या कह लिजिये समय देना भी नही चाहते हैं । कारण एक दूसरे को देखते - देखते ऊब चुके है । "घर की मुर्गी साग बराबर " ।

एक कारण और है कि सच्चाई से दूर भागना , पारिवारिक जिम्मेदारियों , सामाजिक जिम्मेदारियों , से आज हर कोई ऊब चुका है, हम अपने वास्तविक जीवन से ऊब चुके है ।

सोशल मीडिया पर हमें केवल आनंद ही आनंद मिलता है ।इंटरनेट पर मात्र महीने का २०० रुपये लगाना है । शेष मुफ्त में केवल आनंद मिलना है , सभी को लगता है जिसे हम व्हाट्सएप , फेसबुक , इंस्टाग्राम , ट्विटर , अन्य सोशल प्लेटफार्म के माध्यम से हम एक दूसरे के सम्पर्क में आते है एवं मीठी-मीठी बातें करते है , अच्छे कोट्स एक दूसरे को भेजकर हम अपने आप को सर्वबुद्धिमान बनते है और अपने परिवार के सदस्यों को , सगे संबंधियों को महामूर्ख समझते है । सुबह-सुबह सबसे पहले हम ईन अपरिचित मित्रों को सोशल नेटवर्किंग के संदेश गुड मॉर्निंग ,गुड नाईट जैसे मैसेज, कोट्स  इन झूठे मित्रों को भेजकर इनका स्वागत करते हैं और परिवार के व्यक्तियों को मुस्कान भी नहीं देते हैं । आज व्हाट्सएप ग्रुप हो या फ़ेसबुक , इंस्टाग्राम सब सोशल मीडिया साइट्स पर स्वयं के इन सभी प्लेटफॉर्म पर पराये लोग अब अपने बन चुके हैं , अपने लोग पराये हो चुके हैं । यानी कि फ्रेंड लिस्ट में रिकवेस्ट लिस्ट में घर के लोग पिता , माता , पति ,पत्नी ,भाई ,बहन , बेटा ,बेटी सब गायब केवल और केवल मात्र बाहरी लोगों की एंट्री है अपनों को तो पूछना ही नहीं है । क्योंकि वे बाधाएँ है भूत , प्रेत , पिचाश है जो आपके आनंद में विघ्न डालते हैं । आपकी आज़ादी के दुश्मन हैं । वहीं जो बाहरी लोग आप के मरने में आपको अशुद्ध समझ कर कन्नी काट लेते हैं वहीं अपने आपके सारे क्रियाक्रम पूजा पाठ को निपटाते है । दुःख सुख में आपके साथ रहते हैं । सभी आवश्यकताओं को संपूर्ण करने का प्रयास करते हैं । बाहरी लोगों से दो तीन बार सहायता मांग लीजिए फिर देखिए पलक झपकते ही गायब पर झूठा आंनद तो वहीं दे रहा है इसलिए वर्तमान में वही सगा बना है और अपने पराये बन बैठे हैं । जय सोशल मीडिया 🚩

लोग कहते है , मैं सोशल प्लेटफार्म पर बहुत बड़े व्यक्ति से जुड़ा हुआ हूँ वह बहुत बड़े पोस्ट पर है । क्या बढ़िया कोट्स भेजता है शेरो-शायरी भेजता है क्या शानदार व्यक्तित्व है । सोशल मीडिया के लोगों को हम बुद्धिमान एवं अपना सच्चा हमदर्द साथी मानते है ।

यही कारण है कि हमारा व्यवहार अपने घर , परिवार , समाज में बहुत खराब होने लगता है । हम सभी परिवार के सदस्यों को छोड़कर बाहरी लोगों से चैट , बातें  करने में व्यस्त हो जाते है । घर के सभी सदस्य आपस में बात न करके अपने-अपने सोशल मीडिया के प्रियजनों के साथ व्यस्त रहते है । अभिभावक गणों के पास कार्यालय ,व्यापार के कारण समय नही है और जो समय बचता है तो वह अपने अपने सोशल मीडिया के मित्रों के लिए बचता है इस कारण आज  बच्चों के शिक्षा पर अभिभावक ध्यान नहीं देते हैं और आज वर्तमान में परिवार का भविष्य दांव पर लग गया है । आज घरों में एक उदासीनता का माहौल बनते जा रहा है , और परिवार , समाज का हर सदस्य अपने आप को  महामूर्ख , दीन-हीन है समझने लगा है व वहीं सोशल प्लेटफार्म का सदस्य बड़ा ही बुद्धिमान बड़े पोस्ट वाला है , यह सोच कर इसी कारण  हम सोशल मीडिया के मित्रों को प्रार्थमिकता देते है । पहले के समय रविवार के दिन सुबह परिवार के सभी सदस्य धूप में शरीर की तेल मालिश करते थे , माँए बच्चों का धूप में मालिश करती थीं बच्चे स्वस्थ रहते थे आज ठीक इसका विपरीत हो चुका है। सभी लोग मोबाइल पर ही समय गुजार देते हैं यह स्वास्थ्य (हेल्थ) के लिए हानिकारक है ।

" सोशल मीडिया एक झूठी शान है " 

"किसी भी वस्तु का अति उपयोगिता उसका शीघ्र अन्त कर देती है "। 

" किसी वस्तु का उपयोग सकारात्मक हो तो उसका परिणाम भी सकारात्मक होता है " सोशल प्लेटफार्म के लिए एक समय निर्धारित कर दें । सोशल प्लेटफार्म का उपयोग कार्यालय ( ऑफिस) , व्यापार ,शिक्षा के कार्यों के लिए करें , बच्चें अपने स्कूल , प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोग में लायें । बडे-बुढ़े अपनी स्वास्थ्य के लिए अध्यात्म के लिए उपयोग में लायें तो सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी । सकारात्मक विचार के साथ सोशल प्लेटफार्म का उपयोग किया जाय तो इससे बड़ा शस्त्र कोई नही है ।

🌹जय श्री कृष्ण🌹 


                 लेखक :- प्रशांत शर्मा@ कॉपीराइट.



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