दान ऋण B132

प्रेस विज्ञप्ति... दिनांक-01-07-21 *प्रत्येक गृहस्थ को देव ऋण चुकाना पडता है- स्वामी मुक्तिनाथानंद* लखनऊ मठ । *कलयुग में दान ही सर्वश्रेष्ठ यज्ञ है-स्वामी जी* बृहस्पतिवार के प्रातः कालीन सत् प्रसंग में रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद जी ने बताया कि भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रत्येक गृहस्थों का तीन ऋण होता है यथा- देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण। इनमें से माना जाता है कि देव ऋण भगवान विष्णु का है। यह ऋण नहीं चुकाने से दैवीय दुःख अर्थात ऊपरी शक्तियों द्वारा कष्ट मिलता है। स्वामी जी ने बताया कि भगवत् गीता में कहा गया है कि दुःख त्रिविध होता है-आदि भौतिक, आदि दैविक और आध्यात्मिक। इस त्रिविध दुःख में जो आदि दैविक दुःख है, जो अलौकिक दुःख है नाना प्रकार का प्राकृतिक दुर्दैव भूकंप, अनावृष्टि, अतिवृष्टि, झंझावात अतिमारी, महामारी इत्यादि। इस महामारी का कारण है कि मनुष्य जब देव ऋण चुकाने से उदासीन हो जाता है तब ऐसी महामारी का प्रकोप बढ जाता है। उन्होंने कहा कि यह ऋण उत्तम चरित्र रखते हुए दान और यज्ञ करने से चुकता होता है जो लोग धर्म का अपमान करते हैं या धर्म के बारे म...