असंतुष्ट न होना B110
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एक छोटे से गांव में एक बहुत संतुष्ट गरीब आदमी रहता था | वह संतुष्ट था इसलिए सुखी भी था | उसे पता भी नहीं था कि मैं गरीब हूँ | गरीबी केवल उन्हें पता चलती है जो असंतुष्ट हो जाते हैं | संतुष्ट होने से बड़ी कोई सम्पदा नहीं है,कोई समृद्धि नहीं है, लेकिन एक रात अचानक वह दरिद्र हो गया | न तो उसका घर जला,न उसकी फसल ख़राब हुई,न उसका दिवाला निकला | लेकिन एक रात अचानक बिना कारण वह गरीब हो गया था | उस रात एक आदमी उसके घर मेहमान हुआ और उस आदमी ने उससे हीरे कि खदानों कि बात की और उससे कहा कि ,पागल तू कब तक खेती-बारी करता रहेगा ? पृथ्वी पर हीरो कि खदाने भरी पड़ी हैं | अपनी ताक़त हीरो कि खोज में लगा,तो जमीन पर सबसे बड़ा समृद्ध तू हो सकता है |
समृद्ध होने के सपनो ने उसकी नींद ख़राब कर दी | रात भर जागता रहा और सुबह उसने पाया कि वह एकदम दरिद्र हो गया है क्योंकि वह असंतुष्ट हो गया था | उसने अपनी जमीन बेच दी,अपना मकान बेच दिया ,सारे पैसे लेकर हीरों कि खदान कि खोज में निकल पड़ा | १२ वर्षो तक उसने जमीन के कोने - कोने में उसने खोजबीन की,उसकी संपत्ति समाप्त हो गयी | अक्सर ऐसा होता है कि परायी संपत्ति कि खोज में लोग अपनी संपत्ति भी गवां बैठते हैं | उसकी भी संपत्ति नस्ट हो गयी ,वह दर - दर का भिखारी हो गया | एक दिन भूख के कारण उसकी मृत्यु भी हो गयी |
१२ वर्ष बाद वह आदमी फिर उसके गावं में आया जिसने उस समृद्ध आदमी को दरिद्र कर दिया था | उसके घर के पास पहुंचा और पुछा कि यहाँ अली हफीज नाम का एक आदमी रहता था ,वह कहाँ है ? लोगो ने कहा कि वह कुछ दिन पहले ही मर गया और उसने अपना घर,जमीन और खेत हमें बेचकर स्वयं हीरे कि खदान कि खोज में कहीं चला गया था | उस आदमी ने पीने के लिए पानी माँगा और अली हफीज के घर के कमरे में बैठ गया ,वहां उसने चमकदार पत्थर देखा तो पुछा कि यह पत्थर कहाँ से मिला |
वो किसान जिसने अली हफीज का घर खरीदा था उसने कहा कि जब अली हफीज हमें अपना घर और खेत बेच कर चला गया तो उसकी जमीन पर हमें ये चमकदार पत्थर मिला था | उस आदमी ने पहचान लिया कि यह कीमती हीरा है फिर अली हफीज के खेत पर गया और वहां खुदाई करवाई वहां अनेक हीरे मिले,अली हफीज कि वही जमीन गोलकुंडा बन गयी | उसी जमीन पर कोहिनूर हीरा भी मिला था | अली हफीज जो उस जमीन का मालिक था,एक बड़े नगर में भिखमंगा होकर भूखा मर गया | वह हीरे कि खोज में बाहर चला गया था,लेकिन उसे कल्पना भी नहीं थी कि जहाँ मेरी जमीन है वहां हीरे कि खदाने भी हो सकती हैं ,वही से कोहिनूर भी निकल सकते हैं |
कहने का तात्पर्य है कि आप जहाँ भी रहे उसी स्थान को आप हीरे की खदान में परिवर्तित कर सकते हैं । मात्र आप केवल अपने आप को संतुष्ट रखिए ।
💖🌹जय श्री कृष्ण🌹💖
-- पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम
🌹अवधूत भगवान राम विश्व अघोर संगठन🌹
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