पुण्य लाभ B90
जो किसी को वस्त्र देता है, वह उस व्यक्ति को सिर्फ वस्त्र ही नहीं देता है, उसकी लज्जा ढंकने और उसे ठंडक शीत से सुरक्षा देने में सहायक होता है और समाज में उसे प्रतिष्ठा सम्मान दिलाने का मार्ग प्रशस्त करता है। वस्त्र दान से कतिपय अन्य उद्देश्य भी सिद्ध होते हैं। उसी प्रकार से अन्न दान से उदर पूर्ति तो होती ही है, साथ ही अन्न खाने वाले को बल पौरुष देता है। कर्म करने की प्रेरणा देता है। पौरुष पाकर कर्तव्य पालन करने के लिए उत्साहित भी करता है। उसी तरह कोई किसी को जल देकर, सिर्फ जल ही नहीं देता शीतलता भी प्रदान करता है। साथ ही शीतल करता है। इन्द्रियों को विपरित दिशा में जाने से रोकता है। इसके अतिरिक्त, जल तितिक्षा, जो भीतर की प्यास है, को भी शान्त करता है, शरीर के ताप को शीतल करता है। इन्द्रियों को विपरित दिशा में जाने से रोकता है। इसके अतिरिक्त, जल पीने वाले को महान सुख पहुँचाता है जिसे पाकर वह व्यक्ति अपने आप में खिल उठता है। तृप्त हो जाता है। जो निष्काम
भावना से किसी रोगी की सुश्रूसा करता है, समय से उसे पथ्य देता है, समय से उसे औषधि देता है, वह हम अघोरेश्वरों के पूजन जैसा कार्य करता है। वह हम अघोरेश्वरों का आत्मीयजन होता है। हम अघोरेश्वरों का कृपापात्र होता है। उसे भगवान कपालेश्वर के सानिध्य के समान अवसर प्राप्त होता है।
जयश्री दत्तात्रेय नमोस्तुते 🙏🌹🌹🌹🙏
।।प, पू, अघोरेश्वर।। 🌹जयश्री कृष्ण🌹
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