वास्तविक संत B80
औघड़ वाणी -" संत की कोई परिभाषा नहीं होती "
🌹 संत का हाल तो भगवान भी न जाने 🌹
संत की कोई परिभाषा नहीं होती , वरन संत एक अवस्था होती है । जो समय , काल और परिस्थितियों केअनुसार समाज को मार्गदर्शित करते हैं वही सन्त हैं ।जो स्वयं मार्ग से भटक जाय वो कैसे संत कहला पायेगा । संत समय और परिस्थिति के अनुसार लोगोंको अच्छा कर्म करते रहने और बुरे कार्य से बचने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है ।
जैसे एक बंधे हुए तालाब में पानी न निकलने और नए पानी न आने के कारण वह गंदा पड़ा रहता है , ठीक उसी तालाब की भांति मनुष्य के हृदय की सफाई भी तभी संभव है जब उसे धर्म , आध्यात्म व कर्म का बोध कराया जाय और मन में बैठे लोभ , क्रोध , काम जैसी गन्दगी को बाहर निकाला जाए , संत यही कार्य करता है ।
-परमपूज्य अघोरेश्वर बाबा गुरुपद !
🌹।।जय श्री कृष्ण।।🌹
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