कर्म प्रधान B103


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कर्म प्रधान विश्व करि राखा,जो जस करई सो तस फल चाखा ।।

🌷  औघड़ वाणी ---------------------- !

🔱🚩यह संसार एक कर्म क्षेत्र है | जब तक हम लोग कुछ उठ के कर्म नहीं करेंगे ,श्रम नहीं करेंगे तब तक हमें कुछ भी हासिल नहीं होना है | जैसे की आज कल लोग कर रहे हैं ,सभी लोग उसके अधिकारी हैं ,पहले ऐसा नहीं हुआ करता था ,पहले कुछ ही लोग उसके अधिकारी हुआ करते थे | आज वह अधिकार सबको प्राप्त है , 🌷जो कर्म करेगा , श्रम करेगा , उसको ही वह अधिकार प्राप्त होगा |🌷 चाहे वह ईश्वर ही क्यों न हो , उसमे भी हमें वह करना पड़ता है | उसकी प्राप्ति के पहले वह सब करना पड़ता है | वह सब क्रिया-कलाप करने पड़ते हैं जो हमारे लिए आवश्यक हैं | फिर हमारा उत्तरदायित्व होता है कि इस पर ध्यान दें की हमारा आचरण कैसा है , व्यवहार कैसा है , हमारी वाणी कैसी है, हमारा जो मन बहुत कुटिल है वह सुधरा की नहीं। अपने मन्त्रों द्वारा या जैसे भी हम लोग अपने आप के शुद्धिकरण का प्रयत्न कर रहे हैं - तो वह मन्त्र इसलिए होता है की हमारी आन्तरिक शुद्धि हो | 

🌺हमलोग मन्त्र जप को बैठ कर भी करते हैं,चलते - फिरते भी करते हैं,हम लोग जहाँ भी जाते हैं,उस कर्म को करते हुए भी जप करते रहते हैं | यहाँ तक की हम लोग शौच में भी बैठे हों तब भी वह चलता रहता है | वह इसलिए की घृणा ,गन्दगी और द्वेष तो हमारे मन की भावनाये हैं जो कहती है की फलाना गन्दा है , वह बहुत बुरा है ,ख़राब है | परन्तु ईश्वर के द्वारा वैसा कुछ भी नहीं है | इसका हमें बोधहोता है ।

🌹जय श्री कृष्ण🌹

🌹परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम🌹

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