श्री रामकृष्णदेव B42
यदि ईसा मसीह व बुद्ध की पूजा करने में कोई हानि नहीं है , तो इस मनुष्य ( श्री रामकृष्ण परमहंस ) को पूजने में क्या हानि हो सकती है , जिसके विचार या कर्म को अपवित्रता कभी छू तक नहीं गयी ,
जिसकी अन्तदृष्टिप्रसूत बुद्धि से अन्य पैगम्बरों - जिनमें से सभी एक देश दर्शी रहे हैं - की बुद्धि में आकाश पाताल का अंतर है ?
जिन्हें साक्षात माँ काली दर्शन दें एवं उनके हाथ से भोजन ग्रहण करें , साथ में खेल भी खेलें जब चाहें बात कर लें । वह स्वयं कोई ईश्वर के अवतार ही हैं ।
।। जय श्री राम कृष्ण देव भगवान ।।
- स्वामी विवेकानंद जी
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