आज का परिवेश B37
आज के परिवेश में मनुष्य का जो स्वभाव है , ( दाँतो के बीच में जैसे जीभ को काट कर नहीं हटाया जा सकता ) उसी प्रकार हमें धूर्त मनुष्यों के बीच में रहते हुए। शान्ति और धीरज से काम लेना चाहिए ।
अगर आप देखें हमारी हाथ की उंगलियां एक सी नहीं होती है , इस कारण कोई एकाध उंगली को अलग निकाल नहीं देता ।हमें अपनी सभी इच्छाओं को दबाकर अच्छे बुरे मनुष्यों को , सबको साथ लेकर चलना पड़ता है ।
।। जय श्री कृष्ण ।।
प्रशांत जे के शर्मा
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