स्वामी विवेकानंद वचन B31
१- ईर्ष्या एक राष्ट्रीय पाप है ।
२- मैंने एक बहुत बड़ी गलती की थी दूसरे पर निर्भर रह कर जीने की ।
३- कोई मदत करें इसकी अपेक्षा करना मूर्खता है ।
४- सबसे बड़ा त्याग महत्वाकांक्षाओं का त्याग करना है ।
५- सुख क्या है , सुख मानव जाती का चरम लक्ष्य "ज्ञान" लाभ है । मनुष्य का अन्तिम धेय सुख नहीं वरन ज्ञान है । सुख व आनंद का तो एक न एक दिन अंत हो ही जाता है ।अतः यह मान लेना की चरम लक्ष्य सुख है । यह हमारी भूल है । " वह चरम सुख 'सुख' नही वरन "ज्ञान" है ।
संघर्ष के दिनों में ।
।। स्वामी विवेकानंद जी ।। जय श्री कृष्ण ।।
प्रशांत जे के शर्मा
Govinda🙏
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