आजमगढ़ भाग - २ - B28
आजमगढ़ तीर्थों का भी स्थान है - अत्रि मुनि और सती अनसुइया के तीनों बेटे - ऋषिवर दुर्वासा , ऋषिवर चंद्रमा , ऋषिवर दत्तात्रेय ने इस शहर को अपने तप और धाम के लिए ऐसे ही नहीं चुना होगा । तीनों भाइयों ने अपने पिता व माता की आज्ञा से इसी जिले के तमसा नदी के पावन तट पर यज्ञ किया । यही नहीं , राजा परीक्षित की सर्पदंश से हुई मृत्यु के बाद इनके बेटे जनमेजय ने इसी जिले के अवंतिकापुरी में सर्प यज्ञ किया था । कहा जाता है कि सर्प यज्ञ के लिए बनाया गया हवन कुंड आज भी विशाल सरोवर के रूप में मौजूद है । मान्यता यह भी है कि भगवान शिव के मना करने के बावजूद उनकी पत्नी सती जब अपने पिता के यहां बिना बुलाए धार्मिक आयोजन में गई तो उपेक्षा होने पर हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी । गुस्साए शिव जी जब सती का शव लेकर ब्रम्हांड का चक्कर काट रहे थे तो सती के पैर का कुछ हिस्सा इस जिले के पल्हना में गिरा। इसी स्थान को पालहमेश्वरी धाम के नाम से जाना जाता है । सिखों के गुरु तेग बहादुर ने भी आजमगढ़ आना जरूरी समझा । निजामाबाद में वे बीस दिन रुके । तपस्या की। यहां पर सिखों का १४ वां हस्तलिखित धार्मिक ग्रंथ आज भी मौजूद है । सिखों के लिए भी आजमगढ़ तीर्थ है ।आजमगढ़ से ६ किलोमीटर दूर अति प्राचीन शिव मंदिर है यह तहबरपुर लिंक रोड पर शालिनी रामसा नदी के तट पर स्थित है । मंदिर जमीन से ६ फिट नीचे की ओर स्थित है । शिवलिंग १ फिट ऊंचा हरे रंग का है । , श्री नागेश्वर नाथ मंदिर , भत्वरगंज शिव मंदिर , भवरनाथ शिव मंदिर है । जोकि १२ वीं शताब्दी के है । जिनका अत्यंत धार्मिक विशेषताएं हैं ।
यहां के लोगों में मॉरीशस के राष्ट्रपति बने कासिम उन्नतीम व टोबैको एवं त्रिनिदाद के प्रधानमंत्री रहे वासुदेव पाण्डेय के पूर्वज आजमगढ़ के ही थे । कासिम का पैतृक गांव दुबवां व वासुदेव पाण्डेय का लखमनपुर इसी जिले में है ।साहित्य में अगर गंगा-जमुनी तहजीब देखनी हो तो आजमगढ़ आना ही होगा । जहां एक ओर यह उर्दू की शख्सियत कैफ़ी आज़मी की इन्कलाबी शायरी की जमीन है , तो दूसरी ओर खड़ी बोली का पहला महाकाव्य 'प्रिय-प्रवास' लिखने वाले अयोध्यासिंह उपाध्याय'हरिऔध'की जड़ें भी इसी शहर में है ।'राहुल सांस्कृत्यायन' सरीखे साहित्यकारों ने भी शहर की सरहद का नाम दुनिया में रोशन किया है । राष्ट्रभाषा आन्दोलन के नायक आचार्यश्री चंद्रबली पाण्डेय का भी गहरा रिश्ता इस शहर से है ।
इसी शहर में शिक्षा के अग्रदूत शिब्ली नोमानी हुआ करते थे ।नोमानी अलीगढ़ विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे लेकिन जब इस विश्वविद्यालय में मुस्लिम शब्द जोड़ा जाने लगा तो उन्होंने उस विश्वविद्यालय से पूरी तरह अपना नाता तोड़ लिया और आजमगढ़ आकर नेशनल कॉलेज की आधारशिला रखी । उनके न रहने के बाद यहां के लोगों ने कॉलेज में शिब्ली शब्द जोड़ दिया। अकलियत को तालीम से जोड़ने और तालीम के मार्फत देश में भाईचारे को स्थापित करने की दिशा में जनाब शिब्ली नोमानी के किए हुए काम तवारीख की शोभा बढ़ा रहे हैं ।शिब्ली एकेडमी में रखी एक लाख उर्दू की किताबें इसकी तस्दीक करती हैं । यही नहीं, मशहूर शायर कैफी आजमी की बेटी और सिने तारिका शबाना आजमी ने समानान्तर सिनेमा जगत में जो मुकाम हासिल किया है, इसी जिले से हैं ।
आजमगढ़ उत्तर प्रदेश का इकलौता ऐसा जिला है , जहां विधानसभा, विधान परिषद , लोकसभा और राज्यसभा के माननीय सदस्यों की संख्या सबसे अधिक रही है । एक समय यहां के २४ लोग भारत देश के सदन की शोभा बढ़ा रहे थे ।
आज ये शहर किसी के परिचय का मोहताज नहीं है ।
- समय से संवाद
इस खित्ता-ए-आज़मगढ़ पे मगर,
फैज़ान-ए-तज़ल्ली है अक्सर,
जो ज़र्रा यहाँ से उठता है,
वो नैय्यर-ए-आज़म होता है.
खित्ता ए आज़मगढ़--आज़मगढ़ की ज़मीन
फैज़ान ए तजल्ली-दिव्य दृष्टि,
ज़र्रा–धूल का छोटासा कण,
नैय्यर ए आज़म--दुनिया का सूर्य
आजमी ।
प्रशांत जे के शर्मा.
।। जय श्री कृष्ण ।।
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