संकट एक वरदान B26

संकट एक मूसलाधार वर्षा की भांति होती है । काला घना बादल सम्पूर्ण आकाश को घेर लेता है । पूर्ण अंधकार छा जाती है । कड़कड़ाती बिजली सम्पूर्ण आकाश को अपनी बाहों में ले लेती है । आकाश बिजली से गरजता रहता है ।
           पृथ्वी जल से भीग जाती है एवं भर जाती है । आप वर्षा के जल के कारण सरल चल भी नहीं पाते हैं। 
            जब वर्षा ठहरती है तब आकाश में इंद्रधनुष दिखता है। यह आनंद का प्रतिक होता है । मिट्टी के सुगन्ध से वातावरण आनंदित हो जाता है । 
             संकट भी एक वरदान होता है । यह परीक्षा ईश्वर हर एक व्यक्ति की लेते हैं । जो व्यक्ति संकट का सामना करता है । उसी का "यश" - परिवार , समाज , पृथ्वी पर सदैव बढ़ता ही रहता है ।
-   पावन खिंड से
प्रशांत जे के शर्मा.
।। जय श्री कृष्ण ।।

Comments

Popular posts from this blog

don't(Curse) श्राप ना दें ? B227

Sri.Kedarnath dham yatra B224

JOURNEY OF SHRI JAGANNATH DHAM PURI B183