don't(Curse) श्राप ना दें ? B227


 "भगवान परशुराम से सान्दीपनि ऋषि के शिष्यों ने प्रश्न पूछा की गुरुदेव क्या श्राप देकर विनाश किया जा सकता है।" :-

भगवान परशुरामजी ने कहा "श्राप का अर्थ समझते हो?" परशुराम के प्रश्न पर सभी शिष्य चौंक उठे। क्या उत्तर दें, किसी शिष्य के कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा – “पूज्यवर ! अब आप ही समझाएँ।"

"तुम सब कुछ जानते हुए भी, मुझसे सुनना चाहते हो...तो सुनो हे वासुदेव श्री कृष्ण – श्राप दिया जाता है शास्त्र विरोधी आचरण करने वाले आततायियों को। किन्तु श्राप देने वाले को कई बार सोचना पड़ता है कि वह श्राप दे या न दें, (क्योंकि श्राप देने वाले व्यक्ति के पुण्यों का क्षय अवश्यंभावी होता है। (श्राप का अर्थ है प्रकृति के कार्यों में व्यवधान डालना। प्रकृति को इस सीमा तक विवश कर देना कि श्राप की वांछित परिणति घटित हो जाए। प्रकृति ऐसी स्थिति में श्राप देने वाले का अहित भी कर सकती है।) मैं नहीं चाहता था कि अतीन्द्रिय शक्तियों का प्रयोग दुष्टों के विरूद्ध किया जाए। दुष्टों का विनाश उन्हीं की शैली (अर्थात् युद्ध के द्वारा किया जाना चाहिए , एवं स्वयं की तपस्या को नष्ट करने का माध्यम श्राप को नही बनाना चाहिए।) अतः सफलता का रहस्य यहीं है कि मन में बिना विक्षोभ पैदा किए दुष्टों को उन्हीं की भाषा में समझाना चाहिए।" 

जय श्री परशुराम भगवान🌹

(क्रोध का अर्थ है कि हमारा कोई स्वार्थ बहुत गहराई में अंकुरित है। युद्ध हो या आमोद-प्रमोद, व्यवसाय हो या पूजापाठ-मन स्थिर रहना चाहिए। स्वार्थ की आंधियों का प्रभाव मन पर नहीं पड़े, यह सीखना आवश्यक हैं।)-कालजयी श्री परशुराम ।

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