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Showing posts from December, 2023

कुंडेश्वर धाम B212

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  श्री कुंडेश्वर धाम (सिद्धतीर्थ अतिप्राचीन तपस्थली)🚩 श्री कुंडेश्वर धाम में पाताल से स्वयं भू-प्रकट महाशिवलिंग अपने प्राकृतिक रूप में स्थापित है । किंवदन्ती है कि चावल-चावल भर प्रतिवर्ष शिवलिंग का आकार बढ़ता है । शास्त्रसम्मत और लोकमत के अनुसार पीढ़ी दर पीढ़ी दन्तकथाओं लोक धारणाओं से श्री कुंडेश्वर धाम कि कहानी बाणासुर राक्षस से भी सम्बंधित है । कई विद्वानों का मत है कि 'केदारनाथ से दक्षिण में एक सौ किलोमीटर की दूरी पर स्वामी कार्तिकेय की जन्म स्थली माना जाने वाला स्थान रुद्रपुर (शोणितपुर /तेजपुर)  जगह दानयेन्द्रवलि के ज्येष्ठ पुत्र बाणासुर ने जन्म ले तपस्या से भगवान् शिव (केदारनाथ) को प्रसन्न कर अपनी अभिलाषा की –“काश में सुन्दर, विपुल बाहुओं से युक्त वीर बनकर सदैव शिव के समीप ही विहार करूँ.. माँ पार्वती का पुत्र कहाऊँ, मेरी ध्वजा मयूरांकित हो और मैं अजर-अमर हो सकूँ... इसके अनुसार एक सहस्र भुजाएँ वरदान में प्राप्त कीं... 'ध्वजा की रक्षा करते हुए बाण, माता कोटरा, पत्नी लोहित, पुत्र-पुर ,इंद्र , दमन... आदि तथा भ्राता कुम्भनाद ...आदि को साथ लेकर ३१४० ई० पू० (आज से लगभग ५१४० वर्ष प...

Dusari AYODHYA "ORCHA" B211

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                                    दूसरी अयोध्या ( ओरछा धाम ) भारत देश में बहुत कम लोग ही जानते है की श्री अयोध्या धाम भारत देश में दो स्थानों पर स्थित है। पहला श्री राम लला का जन्मस्थान श्री अयोध्या धाम के पावन धरती का सौभाग्य होने का दर्जा उत्तरप्रदेश राज्य को प्राप्त है दूसरा जिसे बहुत कम लोगों को मालूम है यह पावन धरती भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के निवाड़ी जिले में स्थित ऐतिहासिक नगर के "ओरछा" पावन धरा बुंदेलखण्ड क्षेत्र में बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है। उत्तरप्रदेश राज्य के झांसी जिले से 18 किमी दूरी पर स्थित है। संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नौमी सोमवार पुक्ख नक्षत्र श्री रामराजा भगवान को अयोध्या पावन धरती से ओरछा की पावन धरती पर श्री महारानी गनेशी कुंवर कमलापति जू , महराज मधुकरशाह नरेश की महारानी (धर्मपत्नी) थी। इन्होंने अपनी भक्ति व तपस्या द्वारा साक्षात रूप में प्रकट करके ओरछा धाम में स्थापित किया था। तभी से यहाँ कहावत है कि "अवध की रानी ने तो वनवासी बनाये राम , पर मधुकर की रानी ने रा...