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Showing posts from August, 2023

Shri.NAGCHANDRESHWER DEV TRIKAAL PUJA B209

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#ज्योतिर्लिङ्ग श्री महाकालेश्वर, उज्जैन #नाग_पंचमी 21-08-2023 वर्ष में एक दिन के लिए खुले #भगवान_नागचन्द्रेश्वर के पट श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर #श्री_नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते है। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के उपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है। श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में ११ वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, प्रतिमा में श्री नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे है। साथ में शिव-पार्वती के दोनों वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर कार्तिकेय की मूर्ति व उपर की ओर सूर्य-चन्द्रमां भी अंकित है। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदहारण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए है। कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी म...

Shri.PARSHURAM 🔱 Part- 2 B208

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  महर्षि भृगु वरुण पुत्र हैं परंतु ब्रह्मा जी के विचारों के अनुसार स्वयं को ढ़ालने के कारण ब्रह्मा जी ने महर्षि भृगु को अपने पुत्र के समान गौरव प्रदान किया है ।इस कारण भृगु ऋषि ब्रम्हा जी के मानस पुत्र हैं । आगे चलकर महर्षी भृगु के वंशज महर्षि और्व हुए इनके पुत्र थे महर्षि ऋचीक , ऋचीक का बहुत बड़ा परिवार था , इनके ज्येष्ठ पुत्र थे जमदग्नि एक और पुत्र का नाम था अग्निवेश । इन दोनों के माता का नाम सत्यवती था । ज्येष्ठ पुत्र जमदग्नि का पाणिग्रहण संस्कार (विवाह) विदर्भ नरेश प्रसेनजित की ज्येष्ठ पुत्री रेणुका के साथ हुआ था ।  महर्षि और्व ने अपनी पुत्रवधु सत्यवती के आग्रह पर अपने लिए और अपनी माँ के लिए दो औषधि का निर्माण करने का आग्रह किया जिससे कि मनचाहा पुत्र की प्राप्ति हो क्योंकि सत्यवती के कोई भाई नही था इस कारण सत्यवती के पिता कान्यकुब्ज नरेश गाधी को मात्र पुत्री थी पुत्र नही था । तैयार औषधि को सत्यवती की माँ ने बेटी से बात कर आपस की औषधि बदलकर एक दुसरे का सेवन कर लिया । माता पुत्री ने गर्भधारण कर लिया । तत्पश्चात महर्षि और्व ने अपनी पुत्रवधु सत्यवती से पूछ लिया कि औषधि का सेवन ठ...

77th Independence Day 🇮🇳 B207

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77 वें स्वतंत्रता दिवस पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं 🇮🇳 आज दिनांक १५ अगस्त २०२३ को लखनऊ के नेहरु इन्क्लेव गोमतीनगर स्थित कालोनी में हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया । नेहरु इन्क्लेव एसोसिएशन ने और मानवाधिकार एक्शन फोरम ने हर घर तिरंगा के अंतर्गत सभी स्थानीय नागरिकों को तिरंगा झंडा का वितरण किया । कालोनी को तिरंगा ध्वज से शुशोभित कर भारत माता का तिरंगे से श्रृंगार कर आम नागरिकों में देशभक्ति का उत्साह भर दिया । ध्वजारोहण में कालोनी के सभी गणमान्य व्यक्ति सम्मलित थे । इस अवसर पर प्रशांत शर्मा प्रदेश प्रवक्ता उ. प्र. मानवाधिकार एक्शन फोरम , नई दिल्ली ने बताया कि बहुत ही कम समय में तैयारी की गई है इसमें के सी गोयल , प्रेम सिंह ,भुवन शुक्ल , सतेंद्र शर्मा सुबह से ही कार्यक्रम स्थल पर तिरंगे को लगाकर सजा रहे थे । इस अवसर पर विजय सिंह , मोनी सिंह, भुवन शुक्ल , के.सी. गोयल , अमित सेठ , सतेंद्र शर्मा, प्रशांत शर्मा , प्रतीक सिंह , अमित कुमार , रतन कपूर , मोहित वर्मा , बजरंग मिश्र , बृजेश सिंह , अजय चौहान , संतोष सिंह , मदन सिंह चौहान आदि गणमान्य व्यक्तियों ने तिरंगा शोभा या...

PRACHIN BHARAT Part-2 B206

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अपगणस्थान वर्तमान का अफगानिस्तान , कश्यपसागर वर्तमान का केस्पियन सी , और्व देश वर्तमान का अरब देश , बाल्हीक देश-  वर्तमान का अरलसागर से सिन्धु नदी का समस्त धरातल आज के यूनान देश , कतर देश , तुर्की देश , मेसोपोटामिया देश , ईरान देश , ईराक देश , अफगानिस्तान देश , पाकिस्तान देश आते हैं (और्व और बाल्हीक देशों पर भृगुवंशियों का राज्य था) ।  पारद देश केस्पियनसागर के दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित था । मध्य युग में इसे खुरासान क्षेत्र भी कहा गया है । इसे पार्थिया देश भी कहा जाता था । जेन्दा वस्ता ग्रंथ का ग्रंथकार जरथुस्त्र स्वयं मग ब्राम्हण थे , फिर भी ग्रंथ की रचना पहलवी भाषा में की गई है । इससे सिद्ध होता है कि शक (मग) जाति के ब्राह्मण भी शक देश के ही थे एवं पहलवों के आपसी संबंध मधुर थे ।शक एक शक्तिशाली जाति रही है । इनको स्कीथियन्स भी कहा गया है । अवंतिकापुरी के सम्राट विक्रमादित्य से ये लोग पराजित हो चुके हैं । शक जाति के ब्राम्हण स्वयं को मग ब्राम्हण मानते हैं । शूरवीर जरथुस्त्र इसी मग जाति के ब्राम्हण थे । इसी जाति के लड़ाकों ने कई बार भारत पर आक्रमण किए और पश्चिमी भारत (ईरान व अफगान...

PRACHIN BHARAT Part-1 B205

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महर्षि भृगु वरुण पुत्र हैं परंतु ब्रह्मा जी के विचारों के अनुसार स्वयं को ढ़ालने के कारण ब्रह्मा जी ने महर्षि भृगु को अपने पुत्र के समान गौरव प्रदान किया है ।इस कारण भृगु ऋषि ब्रम्हा जी के मानस पुत्र हैं । भृगु ऋषि के वंशजों का साम्राज्य पश्चिमी भारत वर्ष में था जो कि वर्तमान का और्वदेश (वर्तमान का अरब देश) है यहां से ,सिन्धु से ,पश्चिम तक का भारत अर्थात भूमध्यसागर से लेकर पूर्व का भूभाग , कश्यपसागर से अरलसागर तक का विस्तृत भूभाग और सिन्धु नदी के बीच का समस्त भूभाग "वारुण भारतवर्ष" कहलाता था । इसे "बाल्हीक प्रदेश" भी कहा जाता है । वर्तमान में यूनान , कतर , तुर्की , मेसोपोटामिया , ईरान , ईराक , अफगानिस्तान , पाकिस्तान देश "वारुण भारतवर्ष" था , ऐसा पं. मधुसूदन ओझा विरचित"इन्द्रविजय:" वैदिक मंत्रों के आधार पर माना गया है ।और अत्रि ऋषि के पुत्र चंद्रमा की संतति की वंश परंपरा आगे चल कर हैहयजाति चंद्रवंशी कहलाये जिन्होंने राजा बाहु जोकि आगे चलकर इन्हीं के वंश ईश्वाकुवंश में राजा रघु , राजा दशरथ ,राजा भगवान श्री राम जी ने जन्म लिया था । भगवान श्री राम के...