श्रम करें B117

 


                      🌼🌿  औघड़ वाणी  🌿🌼


🔱🚩"आश्रम" का अर्थ ही है कि आ कर हम लोग श्रम करें |

      इस श्रम का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है | जो यहाँ आकर हम सीखते हैं , करते हैं , वही कार्य हम अपने छोटे से घरों में करें तो हमें भौतिक रूप से संतुष्टि मिलती है , उन्नति होती है और हम अपने परिवार को चलाने में,अपने कुनबे को चलाने में सक्षम होते हैं |

🌹 श्रम करने से यदि हम भागते रहेंगे,बचते रहेंगे तो हम कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे | लेकिन यहाँ आश्रम में आ कर,उन संत-महात्माओं के यहाँ जाकर , हम लोग यही सीख लेना चाहते हैं कि हम उस मानवता को प्राप्त करें |


 🌷 हमारे जो भी कार्य हों , जितने भी कर्म हैं वह अपनी आत्मा से आत्मा के लिए हों न कि हमारा दृष्टिकोण केवल भौतिक उन्नति,आर्थिक उन्नति और ऐश आराम के लिए हो |🌷


🌼हमारे प्राचीन काल में और अभी भी कई संत-महात्मा हैं जिनके पास कुछ भी नहीं है,एक पेड़ के नीचे भी बैठे हैं,तो भी उनमे कितनी संतुष्टि है , कितनी शांति है,कितना आकर्षण है कि बहुत बड़े-बड़े लोग भी उनके आगे जाकर नतमस्तक हो जाते हैं | 🌼 

🌿उसका क्या कारण है ? यदि हम गम्भीरता से सोचें तो जो भी उन्होंने काम किये वह अपनी आत्मा के लिए किये और वह आत्मा केवल अपनी ही नहीं है वह सबमे व्याप्त है,सर्वत्र व्याप्त है | 🌿

🌷यही दृष्टिकोण रखकर हम अपने कार्यों को संपन्न करेंगे तो मुझे आशा है कि आप और हम लोग जितने भौतिकता में फंसे हुए हैं वह हमें प्रभावित नहीं करेगा |🌷 

🚩🌺💖परमपूज्य अघोरेश्वर बाबा गुरुपद 💖🌺🚩

🌹जय श्री कृष्ण🌹


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