तीन प्रकार के अन्न B109
तीन प्रकार के अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए ,अतः उन्हें अभीष्ट नहीं समझना । ये हैं -----
(१) मृत्यु के उपरांत श्राद्ध के त्रयोदशा के लिए पका हुआ अन्न।
(२) जो स्त्री रजस्वला है उसके द्वारा तैयार किया हुआ या स्पर्श किया हुआ अन्न और
(३) जो विश्वाशघाती है उसका अन्न ।
यह बात तुमसे इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ये अनुभूत सत्य है । पांडवों में श्रेष्ठ युद्धिष्ठिर ने श्राद्ध का अन्न खाया था इसलिए जब उनकी पत्नी का चीर-हरण हो रहा था तब वो कुछ नहीं कर सके और मूक द्रष्टा बने रहे । उसी तरह रजस्वला स्त्री को किसी का लोटा, जल तक नहीं छूना चाहिए । यदि तुम्हे ऐसा कुछ दिखाई दे तो उस पात्र या भोजन को कभी ग्रहण नहीं करना चाहिए । ऐसी स्त्री का दिया हुआ अन्न पुण्य के छह भाग में से पांच भाग ले लेता है । ऐसी स्त्री अगर अपने पति को भी छू ले तो उसके पति का तेज, बल कांति सब गायब हो जाता है। वह दुर्बल और शिथिल सा महसूस करता है । विश्वाशघाती का अन्न ग्रहण करने से उसका भी मन व कर्म विश्वासघाती हो जाता है ।
🌹परम् पूज्य् अवधूत भगवान राम जी 🌹
🌹जय श्री कृष्ण🌹
Comments
Post a Comment