अन्नपूर्णा का महत्व B108

 



                     🚩🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🚩

    🌼🌷  घर - घर अन्नपूर्णा  ------ मार्मिक उद्गार  🌷🌼

🚩इसे सरसरी तौर पर नहीं,दिल की गहराई में उतर कर देखें🚩


                        🚩🌷  औघड़  -  वाणी  🌷🚩

🚩🔯 अन्नपूर्णा सब प्राणियों की जीवन शक्ति है जिसका आदर सारा संसार करता है। भारत वर्ष में एक विग्रह के रूप में भी अन्नपूर्णा का आदर होता है। परन्तु जब से मैंने होश संभाला है , यही देखता आया हूँ कि घर - घर अन्नपूर्णा की उपेक्षा होती है , उसका अपमान होता है। साधु - संत और किसान भी अन्नपूर्णा की उपेक्षा करते हैं , अनादर करते हैं।


                                     हमारे देश की जनसंख्या बहुत है। इस देश के सब लोग मिल कर जितना अन्न रोज फेंकते हैं उतने अन्न से एक छोटे मोटे राष्ट्र की जनसंख्या का महीनों तक  भोजन हो सकता है। हम जब भी प्रसाद ग्रहण करने बैठते हैं, तीज - त्यौहार पर , अपने घरों में ज्योनार के अवसर पर, लोगों को भोजन ग्रहण करते देखते हैं तो प्रायः हर एक थाली या पत्तल पर दो से दस टोला तक अन्न जुठन के रूप में उपेक्षित पड़ा देखते हैं। बासठ करोड़ लोग

( अब 125 करोड़ ) अगर एक समय एक तोला अन्न की भी जुठन छोड़ें तो दिन में औसत 4 तोला अन्न का अनादर हर आदमी करता है। हिसाब करने से हमारे राष्ट्र में प्रति दिन 27000 टन अन्न अथवा दूसरी खाने की चीजें ( अभी 54000 टन ) जुठन के रूप में फेंकी जाती हैं। यह अन्नपूर्णा की उपेक्षा ही तो है।

                                        हमें सबसे पहले अन्न का, अन्नपूर्णा का आदर करना है। बाकी सब चीजों की जरूरत बाद में पड़ती है। 

🚩 जिस घर में अन्न का अनादर होता है उस घर में बच्चे बिलखते हैं। उस परिवार की शक्ति समाप्त हो जाती है। अन्न प्राप्त करने के लिये आदमी गलत कर्मों की ओर बढ़ता है। जब इससे भी पेट नहीं भरता तो बड़े पापों की ओर अग्रसर होता है।

 🔯यदि हम अन्नपूर्णा की, जो रोज थोड़ी - थोड़ी उपेक्षा करते हैं, वह न करें तो अधिकांश कष्टों और पापों से बंच जायेंगे।🔯


                              🌷 साधु - संतों , महात्माओं को तो खास कर मठों और मंदिरों में अन्नपूर्णा का आदर करना चाहिये । हम अन्नपूर्णा की मूर्ति की पूजा अवश्य करते हैं; परन्तु उनका असली रूप जो अनेक अन्नों में बिखरा है उसकी ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। सभी जाति के अन्नों में अन्नपूर्णा विराजमान हैं। जिस प्रकार चारो वर्णों की समवेत शक्ति से समाज की स्वस्थ संरचना एवं हर क्षेत्र में सबके सहयोग से राष्ट्र की उन्नति होती है उसी प्रकार स्वस्थ एवं उन्नत जीवन के लिये हर तरह के अन्न का समान महत्व है, समान आवश्यकता है। अगर थाली में एक ही प्रकार का अन्न , एक ही ढंग से पका कर रोज परोसा जाय तो अरुचि हो जायेगी और पाचन बिगड़ जायेगा । इसलिए हर जाति के अन्न का समान महत्व है, वह आदरणीय है ।🌷


                                     🔯  हमारी दृष्टि में अन्नपूर्णा की पूर्ण और व्यापक पूजा या सम्मान और उनसे प्राणियों के कल्याण की आवश्यकता की पूर्ति हम तभी कर सकेंगे जब हम लोग घर - घर में अन्न को निष्ठा - आदर और प्यार के साथ देखेंगे और अन्न के एक - एक कण की रक्षा करेंगे।🔯

                                            🌾 हमें अन्नपूर्णा की प्रत्येक क्षण आवश्यकता है। प्राणी एक दवा खा कर रोग हटा सकता है। परन्तु क्षुधा का रोग तो आजन्म हर घड़ी हमें लगा रहता है। उसे रोज हटाना पड़ता है। उसे हटाने के लिये हमें बड़े श्रम, आदर और प्यार के साथ अन्नपूर्णा की आराधना करनी होगी तभी हम पृथ्वी पर अपने को तथा अन्य प्राणियों को हंसते - खेलते देख सकेंगे।🌾

                                   🌷   यह बड़े दुःख की बात है कि एक ओर कुछ घरों में एक - एक कौर के लिये झगड़ा होता है, बच्चे दाने - दाने के लिये तरसते और बिलखते हैं तो दूसरी ओर कुछ घरों में कुतों को भी ठाट - बाट से पाला - पोसा जाता है। मनुष्य से अधिक श्वान का महत्व नहीं है । मनुष्य रहेगा तो श्वान भी जीवित रहेगा, दूसरे जीव - जन्तु और प्राणी भी जीवित रहेंगे , मनुष्य को प्राथमिकता देनी चाहिये ।🌷


                                  🌼  किसी को जीवन देना है, किसी को आनन्द देना है , या किसी अतिथि या अपरिचित को कुछ देना है तो हम सबसे पहले माता अन्नपूर्णा से ही उनका आदर सत्कार करते हैं। मनुष्य मात्र के गृह में इनके स्वागत तथा आदर के लिये जगह रहती है। तब भी बहुत से मनुष्य इनकी उपेक्षा और निरादर करते हैं। वे दर - दर की खाक छान कर उसी अन्नपूर्णा की कामना करते हैं। फिर भी उनकी इच्छा पूरी नहीं होती । उनको प्राप्त करने के लिये उन्हें अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है और वे दम्मा आदि रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।🌼

                                 🌿 इसलिए मनुष्य मात्र को अन्नपूर्णा का सम्मान, आदर तथा प्रतिष्ठा करनी चाहिये ।हमारे राष्ट्र में तो इसकी परम् आश्यकता है। घर - घर थोड़ा - थोड़ा अन्न बंचा कर, अन्नपूर्णा की सच्ची प्रतिष्ठा कर हम सारे राष्ट्र को सम्पन्न और स्वावलम्बी बना सकते हैं। अन्न औषधि और भोजन दोनों रूप में उपयोगी, पूज्य एवं आराध्य है। इसका उचित उपयोग और आदर कर के ही , हम मनुष्य योनि , जो बड़े सौभाग्य से मिलती है , उसका सही उपयोग कर सकते हैं । 🌿

                                   🚩 आशा है सभी शंकराचार्य महोदय जो काशी पधार रहे हैं , माता अन्नपूर्णा को इस रूप में देश के समक्ष प्रस्तुत करेंगे , ताकि हम प्रति दिन उनकी प्रतिष्ठा करें , उपेक्षा न करें।       🚩🌹जय श्री कृष्ण 🌹🚩

--  परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु  सौजन्य ----- सर्वेश्वरी टाइम्स  ।

🚩🔯 अघोरेश्वराये नमः 🌷 अन्नपूर्णा मातृभ्यो नमः 🌷🚩

Comments

Popular posts from this blog

don't(Curse) श्राप ना दें ? B227

Sri.Kedarnath dham yatra B224

JOURNEY OF SHRI JAGANNATH DHAM PURI B183