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Showing posts from June, 2021

Bhagwan Shri. PARSHURAM Part-1B128

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                                               💓💖 भगवान परशुराम 💖💓 भगवान परशुराम त्रेता युग में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। जिसे अवेशावतार कहते हैं। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इंदौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ।  तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर...

ब्राम्हण वंशावली B127

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                                                     ब्राह्मणों की वंशावली                  ——————————————— भविष्य पुराण के अनुसार ब्राह्मणों का इतिहास -प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वय की आर्यावनी नाम की देव कन्या पत्नी हुई। ब्रह्मा  की आज्ञा से  दोनों कुरुक्षेत्र वासनी सरस्वती नदी के तट  पर गये और कण् व चतुर्वेदमय  सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं। समृद्धि के लिये उन्हें  वरदान दिया । वर के प्रभाव कण्वय के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए जिनका क्रमानुसार नाम था - उपाध्याय, दीक्षित, पाठक, शुक्ल,  मिश्र, अग्निहोत्री, दुबे, तिवारी, पाण्डेय, और चतुर्वेदी । इन लोगों ने नत मस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। भक्तवत्सला शारदा देवी ने  अपनी कन्याए प्रदान की। वे क्रमशः- उपाध्यायी, दीक्षिता, पाठकी, शुक्लिका, मिश्र...

सगोत्रीय विवाह वर्जित क्यों B126

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  सगोत्रीय विवाह  वर्जित क्यों ? ————————————————— हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विवाह अपने कुल में नहीं, बल्कि कुल के बाहर होना चाहिए। एक गोत्र में विवाह न हो सके, इसीलिए विवाह से पहले गोत्र पूछने की प्रथा आज भी प्रचलित है।  शास्त्रों में अपने कुल में विवाह करना अधर्म, निंदित और महापाप बताया गया है । इसलिए माता की 5 या पिता की 7 पीढ़ियों को छोड़कर अपनी ही जाति की दूसरे गोत्र की कन्या के साथ विवाह करके शास्त्र पदानुसार संतान पैदा करना चाहिए। क्योंकि सगोत्र में विवाह करने पर पति-पत्नी में रक्त की अति समान जातीयता होने से संतान का उचित विकास नहीं होता। यही कारण है कि अनादि काल से पशु-पक्षियों में कोई विकास नहीं हुआ है, वे ज्यों-के त्यों चले आ रहे हैं। सगोत्र विवाह का निषेध मनु महाराज ने भी किया है असपिण्डा च या मातुरसगोत्रा च या पितुः।  सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्मणि मैथुने ॥ अर्थात् जो माता की छह पीढ़ी में न हो तथा पिता के गोत्र में न हो ऐसी कन्या द्विजातियों में विवाह के लिए प्रशस्त है। चिकित्सा-शास्त्रियों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि सगोत्री...

विक्रमादित्य के नवरत्नB125

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 अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है। जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ धूर्तों ने इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे । राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों को जानने का प्रयास करते हैं।             राजा विक्रमादित्य के दरबार में मौजूद नवरत्नों में उच्च कोटि के कवि, विद्वान, गायक और गणित के प्रकांड पंडित शामिल थे, जिनकी योग्यता का डंका देश-विदेश में बजता था। चलिए जानते हैं कौन थे। ये हैं नवरत्न – 1–धन्वन्तरि- नवरत्नों में इनका स्थान गिनाया गया है। इनके रचित नौ ग्रंथ पाये जाते हैं। वे सभी आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र से सम्बन्धित हैं। चिकित्सा में ये बड़े सिद्धहस्त थे। आज भी किसी वैद्य की प्रशंसा करनी हो तो उसकी ‘धन्वन्तरि’ से उपमा दी जाती है। 2–क्षपणक- जैसा कि इनके नाम से प्रतीत होता है, ये बौद्ध संन्यासी थे। इससे एक बात यह भी सिद्ध होती है कि प्राचीन काल में मन्त्रित्व आजीविका का साधन नहीं था अपितु जनकल्याण की भावना से मन्त्रिप...

सकारात्मक,प्रसन्न रहें B124

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  *हमारी मिठाइयों पर गौर कीजिए, कुछ ना कुछ संदेश देती है*..... जैसे 1️⃣ *जलेबी* आकार मायने नहीं रखता,  स्वभाव मायने रखता  है,  जीवन मे उलझने कितनी भी हो, *रसीले और मधुर रहो* ॰॰ 2️⃣ *रसगुल्ला* कोई फर्क नहीं पड़ता कि, जीवन आपको कितना निचोड़ता है, *अपना असली रूप सदा बनाये रखें* 3️⃣ *लड्डू* तिल का लड्डू तिल-तिल से व बूंदी का लड्ड़ू-  बूंदी-बूंदी से लड्डू बनता, है। छोटे-छोटे प्रयास से ही सबकुछ होता हैं! *सकारात्मक प्रयास करते रहे.* ॰॰ 4️⃣ *सोहन पापड़ी* हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता, लेकिन बनाने वाले ने कभी हिम्मत नहीं हारी। *अपने लक्ष्य पर टिके रहो* ॰॰ 5️⃣ *काजू कतली* अपने आप को इतना सस्ता ना रखे, की राह चलता कोई भी आपका दाम पूछता रहे ! *आंतरिक गुणवत्ता हमें सबसे अलग बनाती है* 6️⃣ *गुलाब जामुन* सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं है! ये आपकी खासियत भी है। *नम्रता यह एक विशेष गुण है* 7️⃣ *बेसन के लड्डू* यदि दबाव में बिखर भी जाय तो, फिरसे बंधकर लड्डु हुआ जा सकता है। *परिवार में एकता बनाए रखें* ॰॰ *आप सभी का हर दिन*,  *इन्हीं मिष्ठान्नों की भाँति*,  *मधुर एवं मंगलमय हो* ......