Posts

Showing posts from November, 2020

महाजनपद युग भाग-१७ B61

Image
  शूरसेन महाजनपद :-  शूरसेन / सूरसेन / शौर सेनाई / शौरि महाजनपद के नाम से जाना जाता था । शूरसेन महाजनपद उत्तरी भारत का प्रसिद्ध जनपद था । जिसकी राजधानी मथुरा में थी , पहले इसे मधुरापुरी के नाम से जाना जाता था । राजा शत्रुघ्न के पुत्र " शूरसेन " के नाम पर शूरसेन महाजनपद का नाम रखा था । बाद में चंद्रवंशी यादवों ने यहाँ राज किया तब इसका नाम मथुरा रखा गया ।            इतिहासकारों का मत है कि लगभग एक सहस्त्र ईस्वी पूर्व से पांच सौ ईस्वी तक के युग को भारतीय इतिहास में जनपद व महाजनपद युग कहा जाता है । शूरसेन ने पुरानी मथुरा के स्थान पर नई नगरी बसाई थी । ।। जय श्री कृष्ण ।।     - प्रशान्त जे के शर्मा @ Copyright

महाजनपद युग भाग-१६ B60

Image
  कुंतल महाजनपद :-  द्वापर युग में महाभारत काल के समय इस नाम के तीन प्रदेशों का उल्लेख है -  १-मध्यदेश में काशी-कोसल के निकटवर्ती क्षेत्र । २- दक्षिण में कृष्णानदी के निकट का क्षेत्र ( अनेक पुराणों में कर्नाटक)को कुंतल देश कहा गया है । ३- कोंकण के निकट का क्षेत्र - ११वीं - १२वीं शती के अनेक अभिलेखों के अनुसार कुंतल देश का उल्लेख हुआ है , भीमा , वेदवती नदी का किनारा , शिमोगा , चीतलदुर्ग , बेलारी , धारवाड़ , बीजापुर के जिले रहे होंगे , कुछ लोगों का मानना है , कोंकण प्रदेश के पूर्व कोल्हापुर के उत्तर , हैदराबाद के पश्चिम कृष्णा मालपूर्वी और वर्धा नदी का किनारा माना जाता है । ।। जय श्री कृष्ण ।।।     - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright

महाजनपद युग भाग-१५ B59

Image
  वत्स महाजनपद :- वर्तमान का उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जो कि वर्तमान में प्रयागराज हो गया है ।तथा मिर्जापुर जिला इसके अंतर्गत आते थे , इस जनपद की राजधानी कौशाम्बी(जिला- प्रयागराज उ.प्र.) थी ।ऐतरेय ब्राम्हण में जिन वंश के लोगों का उल्लेख है वे इसी देश के निवासी थे । कौशाम्बी में जनपद की राजधानी प्रथम बार पांडवों के वंशज 'निचक्षु' ने बनायी थी ।  वत्स देश का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है । रामायण काल में गंगा नदी वत्स व कोसल जनपदों की सीमा पर बहती थी । महाभारत के अनुसार भीमसेन ने वत्सभूमि पर विजय प्राप्त की थी । ।। जय श्री कृष्ण ।।     - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright 

महाजनपद युग भाग-१४ B58

Image
  मल्ल महाजनपद :-  पूर्वी उत्तर प्रदेश का क्षेत्र , मल्ल महाजनपद में आता था , इसकी राजधानी कुशीनगर थी । वाल्मीकि रामायण में मल्लदेश का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है। भगवान रामचंद्र जी ने लक्ष्मण-पुत्र चन्द्रकेतु के लिए मल्लदेश का निर्माण कराया था ।बौद्ध साहित्य में मल्लदेश की दो राजधानीयों का वर्णन क्रमशः है - १- कुशावती व २- पावा ।। जय श्री कृष्ण ।।  @Copyright  प्रशान्त जे के शर्मा ।

महाजनपद युग भाग- १३ B57

Image
  मत्स्य या मच्छ महाजनपद:-  वर्तमान में अलवर , भरतपुर , जयपुर ज़िले के क्षेत्र सम्मलित थे ।महाभारत काल का एक प्रसिद्ध जनपद था । इस देश में विराट का राज था यहां की राजधानी उपपल्लव नामक नगर में थी ।विराटनगर मत्स्य देश का दूसरा सबसे प्रमुख नगर था ।भीम व सहदेव ने भी मत्स्यों , मत्स्य देश पर विजय प्राप्त की थी ।                     अलवर के एक भाग में शाल्व देश था , जो मत्स्य का पार्श्ववर्ती जनपद था । पांडवों ने मत्स्य देश में विराट के यहाँ पर रहकर अपने अज्ञातवास का एक वर्ष बिताया था । @Copyright    ।। जय श्री कृष्ण ।।       - प्रशान्त जे के शर्मा

महाजनपद युग भाग-१२ B56

Image
  मगध महाजनपद :- बौद्ध काल एवं परवर्तीकाल में उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली जनपद था। इसका क्षेत्र दक्षिण बिहार का क्षेत्र था जो वर्तमान में पटना , गया जिला इनमें सम्मलित थे । महाभारत के समय इसकी राजधानी "गिरिव्रज" थी । महाभारत के समय यहां का राजा जरासंघ था ।    मगध साम्राज्य की सीमा उत्तर गंगा से दक्षिण विन्ध्यपर्वत तक था , पूर्व में चम्पा से पश्चिम में सोननदी तक विस्तृत थी ।मगध साम्राज्य के "विश्व स्फटिक" नामक राजा ने आर्यसभ्यता का प्रचार किया था । मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह थी , यह पांच पहाड़ियों से घिरा नगर था । कालान्तर में मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई बाद में मगध ने कौशल , वत्स , अवंति , को अपने महाजनपद में मिला लिया । इस प्रकार प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास बना ।   ।। जय श्री कृष्ण ।। @Copyright  प्रशान्त जे के शर्मा 

महाजनपद युग भाग-११ B55

Image
  वृज्जि या वज्जि (महाजनपद) - वृज्जि उत्तर बिहार का बौद्ध वज्जि , वृज्जि का ही रूपांतरण है ।बुद्ध के जीवन काल में मगध सम्राट अजातशत्रु और वृज्जि गणराज्य में बहुत दिनों तक संघर्ष चलता रहा । ।। जय श्री कृष्ण ।।  - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright

महाजनपद युग भाग-१० B54

Image
पंचाल (महाजनपद) - पंचाल वर्तमान में पश्चिम उत्तर प्रदेश का बरेली , बदायूँ , फर्रुखाबाद , रुहेलखंड  जिलों से परिवृत प्रदेश का प्राचीन नाम है ।  यह कानपुर से वाराणसी के बीच गंगा नदी के गंगा के मैदान में फैला हुआ था ।  इसकी दो राजधानी थीं ।  १- उत्तर पांचाल - उत्तर पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी । २- दक्षिण पांचाल - दक्षिण पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी ।         कनिंघम के अनुसार वर्तमान में रुहेलखंड उत्तर पांचाल और दोआबा दक्षिण पांचाल था। पांचाल वर्तमान रुहेलखंड का प्राचीन नाम था । मान्यता है कि इसका यह नाम राजा हर्यश्व के पांच पुत्रों के कारण पड़ा था । श्री राय चौधरी का मत है कि पांचाल पांच प्राचीन कुलों का सामूहिक नाम था -  १ किवी २ केशी ३ सृंजय ४ तुर्वसस ५ सोमक । द्रोणाचार्य ने अर्जुन की सहायता से पंचालराज द्रुपद को हराकर उनके  उत्तर पांचाल को ले लिया था। ।। जय श्री कृष्ण ।।       -  प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright

महाजनपद युग भाग-९ B53

Image
  गांधार (महाजनपद) - गांधार महाजनपद वर्तमान में पाकिस्तान का पश्चिमी भाग एवं अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र है । प्रमुख नगर - पुरुष पुर (आधुनिक पेशावर नगर) एवं तक्षशिला इसकी राजधानी थी । इसका अस्तित्व६०० ईसा पूर्व से ११वीं सदी तक रहा । कुषाण शासन के समय यहां बुद्ध धर्म बहुत फला फूला पर बाद में  मुस्लिम आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया । १२५३ ईस्वी में चीन के सम्राट कुबलाखां ने गांधार को जीतकर यहां के हिन्दु राज्य की समाप्ति कर दी ।         इस प्रदेश का वर्णन महाभारत और सम्राट अशोक के शिलालेखों में मिलता है । महाभारत के अनुसार धृतराष्ट्र की रानी और युवराज दुर्योधन की माँ गांधारी , गंधार की राजकुमारी थीं । यह पाकिस्तान के रावलपिंडी और पेशावर जिलों में आता है । तक्षशिला एवं पुष्कलावती यहीं के प्रसिद्ध नगर थे ।          "कैकय" देश इसके पूर्व में स्थित था , कैकय-नरेश युधाजित के कहने से अयोध्यापति भगवान रामचंद्र जी के भाई भरत ने गंधर्व देश को जीता था और तक्षशिला एवं पुष्कलावती नगर को बसाया था । चंद्रगुप्त मौर्य साम्राज्य में सम्पूर्ण गांधार ...

महाजनपद युग भाग-८ B52

Image
चेदि या चेति (महाजनपद) - चेदि या चेति महाजनपद वर्तमान में बुंदेलखंड का दक्षिणी भाग व जबलपुर का उत्तरीभाग सम्मलित था । महाभारत काल में शिशुपाल यहां का प्रसिद्ध राजा था । वर्तमान में ग्वालियर क्षेत्र में वर्तमान चंदेरी कस्बा ही प्राचीन काल के चेदि राज्य की राजधानी बतलाया गया है ।  ।। जय श्री कृष्ण ।।           -  प्रशान्त जे के शर्मा  @Copyright

महाजनपद युग भाग-७ B51

Image
  कुरु (महाजनपद) - वर्तमान में हरियाणा , दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला अंश सम्मलित था । इसकी राजधानी हस्तिनापुर एवं इन्द्रप्रस्थ थी । ( इन्द्रप्रस्थ - वर्तमान दिल्ली ) व हस्तिनापुर जो कि उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ ज़िले में स्थित एक नगर है । पुराण में राजा कुरु के नाम पर इसका नाम कुरु महाजनपद पड़ा । महाभारत के पश्चात कुरुवंश का अंतिम राजा निचक्षु थे , राजा परिक्षित के वंशज ( युधिष्ठिर से ७ वीं पीढ़ी में ) थे । हस्तिनापुर के गंगा द्वारा बहा दिए जाने पर अपनी राजधानी वत्स  देश के कौशाम्बी नगरी को बनाया । तथ्य :- १- हिमालय के उत्तर का भाग 'उत्तर कुरु ' और हिमालय के दक्षिण का भाग  'दक्षिण कुरु ' के नाम से जाना जाता था । २- प्रसिद्ध चंद्रवंशी राजा कुरु के पिता का नाम " संवरण " व माता का नाम " तप्ती "  था ।      राजा कुरु की दो पत्नियां थीं -  " सुभांगी " व " वाहिनी " । वाहिनी के पांच पुत्र हुये । जिनके कनिष्ठ का नाम जनमेजय था- जिनके वंशज धृतराष्ट्र व पांडु हुए । ।। जय श्री कृष्ण ।।          - प्रशान्त जे के शर्मा .  @Copy...

महाजनपद युग भाग-६ B50

Image
  कौशल (महाजनपद)  -   उत्तर भारत का प्रसिद्ध जनपद राजधानी 'अयोध्या' थी । कौशल महाजनपद में फैज़ाबाद(वर्तमान में- अयोध्या) , गोंडा , बहराइच के क्षेत्र सम्मलित थे । यह जनपद सरयू नदी ( गंगा नदी की सहायक नदी ) के तटवर्ती प्रदेश में स्थित था । चित्रकूट तक सीमा थी । कौशल महाजनपद का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है ।  🌹अयोध्या भगवान श्री राम की जन्मभूमि भी है ।🌹 ।। जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण ।।    - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright

महाजनपद युग भाग-५ B49

Image
काशी (महाजनपद) -  काशी का दूसरा वर्तमान नाम वाराणसी है । हरिवंश पुराण में उल्लेख आया है , काशी को बसाने वाले 'पुरूखा' के वंशज राजा ' काश ' थे । अतः उनके वंशज काशी कहलाये ।      एक उल्लेख और है -  पार्वती माता के मुक्तामय कुंडल गिर जाने से इस क्षेत्र को मुक्त क्षेत्र की संज्ञा दी गई एवं इसकी अकथनीय परमज्योति के कारण तीर्थ का नामकरण काशी किया गया । ।। जय श्री कृष्ण ।।   - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright

महाजनपद युग भाग-४ B48

Image
कंबोज (महाजनपद) -  कंबोज देश का विस्तार कश्मीर से हिंदुकुश तक था । (वर्तमान हिंदुकुश-पाकिस्तान , अफगानिस्तान ) है । कौटिल्य अर्थशास्त्र में कंबोज को चंद्रगुप्त मौर्य के गणराज्य , साम्राज्य में विलीन रहा होगा ऐसा बतलाया गया है ।            हिंदुकुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादित भाग से मध्य अफगानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० कि. मी. चलने वाली पर्वत श्रृंखला है । इसका सबसे ऊंचा पहाड़ पाकिस्तान के खैबर - पख्तूनख्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७७०८ मीटर  ( २५२८९ ) फ़ुट लम्बा तिरिच मीर पर्वत है ।हिंदुकुश पामीर पर्वतों से जाकर जुड़ते हैं और हिमालय की एक उपशाखा माने जाते हैं।  ।। जय श्री कृष्ण ।।         - प्रशान्त जे के शर्मा @Copyright