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SriRam bhagwan ki (Vanshavali) B222

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१४ अप्रैल २०२४ दिन रविवार , स्पष्ट आवाज़ राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र , अंक २८७(287) , पृष्ठ ६ ,विचार । लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, ललितपुर से प्रकाशित ।  भारतीय परंपरा के अनुसार भगवान श्रीराम २४वें त्रेतायुग में अवतीर्ण हुए । मनुसंवत १०,२३,८३३०० से १०,२३,८४३०० वर्ष के बीच मनुसंवत का अर्थ है तेईस पर्याययुगों की तथा चौबीसवें कृतयुग एवं त्रेतायुग की समन्वित कालावधि का अर्थ है की २४वें त्रेतायुग के अन्तिम सात सौ तथा द्वापरयुग के प्रारंभिक तीन सौ वर्षों में श्रीराम इस पुण्य धरा पर विराजमान रहे । सूर्यवंश में सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र, मोरध्वज, दिलीप, रघु, अज, दशरथ के बाद ६३ वीं पीढ़ी में अयोध्या में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था । वर्तमान कल्प के चक्रवर्तियों की यह परंपरा स्वयंभू भगवान मनु से आरंभ बताई जाती है जिनकी राजधानी अयोध्या के रूप में वर्णित है। चक्र का संबंध केवल किसी एक पिंड अथवा आकृति से नहीं है। यह चक्र काल यानी समय का है, यह चक्र जीवन का है, यह चक्र ब्रह्माण्ड और उसकी गति का है, यह चक्र वंशानुक्रम का है। यह चक्र निमिष, प्रहर, दिवस, रात्रि, पक्ष, मास, ऋतु, वर्ष, शताब्दी, युग औ...